B.A -HIN1FA 102(1)

                                               Course Code HIN1FA102(1)

हिंदी  भाषा में संचार और रचनातमक लेखन का विकास -भाग १ 

          HINDI BHASHA MEIN SANCHAR AUR RACHANATMAK LEKHAN KA VIKAS – BHAG I

                                                                 

Module 1
भारत का संविधान


👉 भारत का संविधान संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ।
👉 26 नवम्बर) भारत के संविधान दिवस 
👉 26 जनवरी का दिन भारत के  गणतन्त्र दिवस 
👉भारत के संविधान का मूल आधार भारत सरकार अधिनियम १९३५(1935) 
👉 भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतान्त्रिक देश का सबसे लम्बा लिखित संविधान है|
👉 भारतीय संविधान लिखने वाली सभा में 299 सदस्य 
👉भारतीय संविधान लिखने वाली सभा का अध्यक्ष डॉ.राजेंद्र प्रसाद
👉संविधान निर्माण समिति अध्यक्ष - डॉ .भीमराव अंबेड़कर
👉 सदस्य - जवाहरलाल नेहरू, डॉ भीमराव अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद,
सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि
👉 भारतीय संविधान को पूर्ण रूप से तैयार करने में 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन का समय लगा था
👉भारतीय संविधान में 470 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियाँ हैं और ये 25 भागों में विभाजित है।
👉भारतीय संविधान 26.01.1950 को लागू हुआ 
                             भारतीय संविधान के भाग

भारतीय संविधान 22 भागों में विभजित है तथा इसमे 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियाँ हैं।

भागविषयअनुच्छेद
भाग 1संघ और उसके क्षेत्र(अनुच्छेद 1-4)
भाग 2नागरिकता(अनुच्छेद 5-11)
भाग 3मूलभूत अधिकार(अनुच्छेद 12 - 35)
भाग 4राज्य के नीति निदेशक तत्त्व(अनुच्छेद 36 - 51)
भाग 4Aमूल कर्तव्य(अनुच्छेद 51A)
भाग 5संघ(अनुच्छेद 52-151)
भाग 6राज्य(अनुच्छेद 152 -237)
भाग 7संविधान (सातवाँ संशोधन) अधिनियम, 1956 द्वारा निरसित(अनु़चछेद 238)
भाग 8संघ राज्य क्षेत्र(अनुच्छेद 239-242)
भाग 9पंचायत(अनुच्छेद 243- 243O)
भाग 9Aनगरपालिकाएँ(अनुच्छेद 243P - 243ZG)
भाग 10अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र(अनुच्छेद 244 - 244A)
भाग 11संघ और राज्यों के बीच सम्बन्ध(अनुच्छेद 245 - 263)
भाग 12वित्त, सम्पत्ति, संविदाएँ और वाद(अनुच्छेद 264 -300A)
भाग 13भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम(अनुच्छेद 301 - 307)
भाग 14संघ और राज्यों के अधीन सेवाएँ(अनुच्छेद 308 -323)
भाग 14Aअधिकरण(अनुच्छेद 323A - 323B)
भाग 15निर्वाचन(अनुच्छेद 324 -329A)
भाग 16कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबन्ध सम्बन्ध(अनुच्छेद 330- 342)
भाग 17राजभाषा(अनुच्छेद 343- 351)
भाग 18आपात उपबन्ध(अनुच्छेद 352 - 360)
भाग 19प्रकीर्ण(अनुच्छेद 361 -367)
भाग 20संविधान के संशोधनअनुच्छेद - 368
भाग 21अस्थाई संक्रमणकालीन और विशेष उपबन्ध(अनुच्छेद 369 - 392)
भाग 22संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ, हिन्दी में प्राधिकृत पाठ और निरसन(अनुच्छेद 393 - 395)

(जानकारी  के लिए  आभार -विकी पीडिया )


अध्याय 1--संघ की भाषा

👉अनुच्छेद 120. संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा -

👉अनुच्छेद 210: विधान-मंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा -
    👉अनुच्छेद 343. संघ की राजभाषा-
    👉अनुच्छेद 344. राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद की समिति

    अध्याय 2- प्रादेशिक भाषाएं

    👉अनुच्छेद 345. राज्य की राजभाषा या राजभाषाएं--
    👉अनुच्छेद 346. एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा
    👉अनुच्छेद 347. किसी राज्य की जनसंख्या के किसी भाग द्वारा बोली जाने वाली भाषा के संबंध में विशेष उपबंध
    अध्याय 3 - उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों आदि की भाषा
    👉अनुच्छेद 348. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा
    👉अनुच्छेद 349. भाषा से संबंधित कुछ विधियां अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया--

    अध्याय 4-- विशेष निदेश

    👉अनुच्छेद 350 ख. भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के लिए विशेष अधिकारी-
    👉अनुच्छेद 351. हिंदी भाषा के विकास के लिए निदेश--
    उद्देशिका
     👉संविधान के उद्देश्यों को प्रकट करने हेतु  उद्देशिका प्रस्तुत की जाती है।





















    सम्प्रभु- राज्य की राजनैतिक सीमाओं के भीतर भारत का स्वतंत्र अधिकार है 
    समाजवादी-- भारतीय समाजवाद  की प्राप्ति लोक तांत्रिक माध्यमों से होनी चाहिए। 
    धर्म निरपेक्षता- भारत में सभी धर्म के विश्वासियों को सम्मान,संरक्षण और समर्थन मिलता है 
    लोकतान्त्रिक -संविधान चुनाव में व्यक्त लोगों की इच्छा से अधिकार देता है 
    गणराज्य -राज्य का प्रमुख लोगों द्वारा चुना जाता है 
                                                           Module 2
                                                     चित्रा मुद्गल -पंच परमेश्वर
                    (भारतीय जन-जीवन के  कथाशिल्पी प्रेमचंद की श्रेष्ठ कहानी के नाट्य-रूपांतर)
    प्रेमचंद 
    ☀हिंदी साहित्य के कथा शिल्पी ,कहानी सम्राट 
    ☀असली नाम - धनपत राय 
    ☀लेखन की शुरुआत उर्दू भाषा से 
    ☀उर्दू भाषा में  नवाबराय नाम से लेखन 
    जुम्मन शेख और अलगू चौधरी को मित्रता और शत्रुता की कहानी 
    भारतीय समाज  में न्याय,नीति ,नैतिकता का स्थान  
    ☀'पंच परमेश्वर'प्रेमचन्द की पहली कहानी 
      



    चित्रा मुद्गल
    आधुनिक हिंदी  साहित्य की  प्रमुख लेखिका 
    आवां', 'गिलिगडु', 'एक ज़मीन अपनी', 'जीवक', 'मणिमेख', 'दूर के ढोल आदि  मुख्य रचनाएँ 
    उपन्यास 'आवां' पर उन्हें वर्ष 2003 में 'व्यास सम्मान' मिला


    नाटक के तत्व 
    1. कथावस्तु
    2.पात्र एवं चरित्र चित्रण
       जुम्मन शेख ,अलगू चौधरी ,बूढी खाला,करीमन,समझू साहू  

    3.संवाद
    4. देशकाल वातावरण
    5. भाषा शैली
    6. उद्देश्य-समाज की सच्चाई का बखान,ग्रामीण  जीवन का चित्रण 
    7. अभिनेयता
             


                                                       MODULE 3

    ममता कालिया -परदेशी सुभाष चंद्र कुशवाह -आखिरी पड़ाव के पहले
    सुकेश साहनी-स्कूल
    कहानी गद्द साहित्य की सबसे लोकप्रिय मनोरंजक विधा
    जीवन के किसी एक अंग या किसी एक मनोभाव को प्रदर्शित करता  है  
    सुकेश साहनी हिदी साहित्य के लघु कथाकार 
    लघुकथा संग्रह 'डरे हुए लोग' 'ठंडी रज़ाई 'साइबरमैन' और ‘प्रतिनिधि लघुकथाएँ
    हिंदी लघुकथा की वैबसाइट laghukatha .com का संपादन 
    मुख्य रचनाएँ 
    'डरे हुए लोग' ,'साइबर मान'आदि 
    खलील जिब्राल की लघु कथाओं का अनुवाद 
                        मुख्य पात्र
    👉 माँ 
    👉 बेटा 
    👉स्टेशन  मास्टर 
                          चर्चित समस्याएं 
    👉 माँ की ममता 
    👉 माँ के प्रति बेटे का प्यार 
    👉 रेलवे का हाल 
    👉अधिकारीयों का आम जनता से व्यवहार 
    1. कथावस्तु
     
     बूढी माँ तीन दिन पहले  शहर की और गये बेटे की खोज में रेलवे स्टेशन पर आई है |वहाँ  पहुँचने पर सूचना मिलता है की गाडी देरी से चल रही है |गाडी के बारे में बार बार पूछने पर स्टेशन मास्टर भी ऊब जाते है |लड़का पहली  बार घर छोड़ कर बाहर गये है |बच्चे के पिता नहीं है |माँ दरिया बन कर घर चलाती थी परिवार का आर्थिक हाल सुधारने लड़का  चना बेचने गया है ||माँ की अनुमति से ही वह गया था |लेकिन माँ को डर लग रही है |दुनिया के बारे में सही ज्ञान न होनेवाला लड़का क्या करेंगे ?आखिर गाडी आ गयी और उसमें से लड़का निकला |माँ   को देख कर वह कहता  है -"माँ तुम्हें इतनी रात गए यहाँ नहीं आना चाहिए था।" वह हैरान रह जाती है....इन तीन दिनों में उसका बेटा इतना बड़ा कैसे हो गया!"
    2.पात्र एवं चरित्र चित्रण
       बूढ़ी माँ,बेटा,स्टेशन मास्टर,गाडी अदि इस कहानी के मुख्य पात्र है |समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि के रूप में ये पात्र हमारे सामने आ रहे है |
    3.संवाद
       लघु कहानी के पात्रों  के  संवादों के माध्यम से उनकी भावनाएँ स्पष्ट होती हैं|संवादों के माध्यम से पात्रों के जीवन की कठिनाइयाँ, सामाजिक भेदभाव और वर्गीय संघर्ष दिखाया गया है।उनकी परिस्थितियों का द्वंद्व और उनके भीतर की बेचैनी प्रकट करने में लेखक को सफलता मिला है |
    4. देशकाल वातावरण
      कहानी किसी ग्रामीण या कस्बाई क्षेत्र की पृष्ठभूमि में रची गई है |गाँव के जीवन,व्यवहार आदि का वर्णन लेखक कम से कम शब्दों में किया है |सादगी और पारंपरिकता से ओत-प्रोत भारतीय ग्रामीण परिवेश इस कहानी की विशेषता है |
    5. भाषा शैली
    पात्रों के बीच होने वाली बातचीत रोजमर्रा की भाषा में होती है, जिससे कहानी अधिक प्रामाणिक और प्रभावी हो जाती है।कहानी के पात्र अपने दुख, गुस्से या निराशा को व्यक्त करते हैं, तो उनके शब्द सीधे हृदय को छूते हैं।
     6. उद्देश्य
      दुनिया ही सबसे बड़ा पाठशाला है |यह सीख पाठकों को देना लेखक का मुख्य उद्देश्य है |माँ और बेटे के बीच की ममता और प्यार,कड़ी मेहनत करके परिवार चलानेवाली माँ ,उस माँ की मदद के लिए चना बेचने निक्लेवाला बेटा आदि के माध्यम से भारतीय परिवार के खासियत लेखक दिखा रहा है |

    सुमित्रानंदन पंत -प्रथम रश्मि
    👉
    बचपन का ना गोसाई दत्त
    👉प्रकृति के सुकुमार कवि’कौसानी गाँव के निवासी 
     👉 पद्म भूषण, ज्ञानपीठ पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित 
     👉छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक
     👉 नव युग के प्रवर्तक कवि 
     👉छायावादी काव्य-वीणा’, ‘ग्रंथि’, ‘पल्लव’, ‘गुंजन’ तथा ‘ज्योत्स्ना
     👉प्रगतिवादी काव्य- ‘युगांत’, ‘गुण-वाणी’ और ‘ग्राम्या’ 
      👉अध्यात्मवादी काव्य - ‘स्वर्ण-धूलि’, ‘अतिमा’, ‘रजत शिखर’ और ‘लोकायतन
      👉1968 में ‘चिदंबरा’ काव्य-संग्रह के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार
      👉हिंदी भाषा का प्रहतं ज्ञानपीठ पुरस्कार 
    कुंवर नारायण-कविता की ज़रूरत
    🍀समकालीन हिंदी कवि
    🍀तीसरा सप्तक के प्रमुख कवि
    🍀कविता संग्रह -चक्रव्यूह,हाशिये के बहाने,कविता के बहाने आदि
    🍀कहानी संग्रह -आकारों के आसपास
    🍀समीक्षा- आज और आज से पहले,मेरे साक्षात्कार
    🍀२००५ के ज्ञानपीठ पुरस्कार
    🍀व्यास सम्मान से पुरस्कृत
    🍀खंड काव्य-आत्मजयी
    🍀समकालीन समय में कविता की जरूरत क्या है ?
    🍀कविता की अपार संभावनाओं पर विचार
    🍀मानसिक और भावनात्मक पोषण के लिए कविता का इस्तमाल
    🍀दर्द और पीड़ा से मुक्ति केलिए
    🍀सही शिक्षा देती है  कविता 
    🍀मन ,शरीर और आत्मा को तसल्ली देती है
    असंगघोष-मैं दूँगा माकूल जवाब
    ✅ हिंदी साहित्य के समकालीन कवि
     हिन्दी साहित्य की दलित धारा में  लेखन
    त्रैमासिक 'तीसरा पक्ष' का सम्पादन
    ✅ समाज में दलितों के स्थान का ज़िक्र
    ब्राह्मणवादी वर्चस्व के खिलाफ़ प्रतिरोध
    ✅ जातिवाद के खिलाफ प्रतिरोध का स्वर
    ✅ सोये हुए लोगो को जगानेवाली कविता

    अतिरिक्त जानकारी
    MODULE 4

     Module 4     

                                          भाषा 

       भाषा -  जिसके  माध्यम से   मनुष्य अपने भावों और विचारों को प्रकट करते है,भाषा कहते है |

      भाषा के प्रकार -    कथित भाषा(  इसमें ध्वनियों का प्रयोग होता है )   और लिखित भाषा  ( इसमें ध्वनियों के प्रतिनधि चिह्नों का प्रयोग होता है ) 

       भाषा के प्रतिनिधि चिह्नों को   वर्ण या  अक्षर कहते है |-

      अक्षरों  के सार्थक समूह  को शब्द कहते है 

     शब्दों के सार्थक समूह को वाक्य  कहते है |  वाक्यों से भाषा बनती है |

    भाषा के सही ज्ञान के लिए  व्याकरण की आवश्यकता है |भाषा के शुद्ध प्रयोग के लिए  व्याकरण की आवश्यकता है |

    व्याकरण 

          व्याकरण वह विधा या शास्त्र है ,जिसकी सहयता से मनुष्य शुद्ध भाषा,बोल पढ़ और लिख सकता है |

        व्याकरण   =   वर्ण- शब्द -वाक्य  का वैज्ञानिक अध्ययन 

         वर्ण - दो प्रकार का  स्वर और व्यंजन   

         11 स्वर और 33 व्यंजन        ---         कुल 44  वर्ण 

    स्वर

    अ , आ , इ  , ई , उ  , ऊ  , ऋ  , ए  , ऐ  , ओ  , औ , अं, अः 

    व्यंजन 

    क वर्ग – क , ख , ग , घ , डं

    च वर्ग – च , छ , ज , झ , ञ

    ट वर्ग – ट , ठ , ड , ढ , ण 

    त वर्ग – त , थ , द , ध , न

    प वर्ग – प , फ , ब , भ , म

          लिपि - वर्णों के लिखने का क्रम  लिपि नाम से जाना जाता है 

      हिंदी देव नागरी लिपि में लिखी जाती है 

    💻   वीडियो  क्लास -भाषा,व्याकरण.वर्ण

     संज्ञा 

               विकारी शब्द परिचय        

                       संज्ञा (Noun)

                     संज्ञा वह विकारी शब्द है जिससे किसी व्यक्ति,वस्तु,स्थान,भाव या गुण के नाम का बोध होता हो |

                    जैसे - राम ,पुस्तक,दिल्ली,भलाई 

     संज्ञा के तीन भेद है - व्यक्तिवाचक संज्ञा,जाती वाचक संज्ञा और भाव वाचक संज्ञा 

                          1. व्यक्तिवाचक संज्ञा -जिस संज्ञा के द्वारा किसी,व्यक्ति,वस्तु,अथवा स्थान का बोध होता है उसे 

                                                                   व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है |       जैसे - राम ,पुस्तक,दिल्ली   

                          2.जातिवाचक संज्ञा -जो संज्ञा एक जाति के समस्त प्राणियों अथवा पदार्थों का बोध कराती है,उसे  

                                                           जाति वाचक संज्ञा कहते है |जैसे-पुस्तक,नदी,मनुष्य 

                          3.भाववाचक संज्ञा -जो संज्ञा किसी पदार्थ के गुण अथवा व्यापार का बोध कराती है,वह भाव   

                                                                 वाचक   संज्ञा कहलाती है |जैसे हंसी,खुशी,भलाई 

    संज्ञा रूप  लिखिए 

    मनुष्य -मनुष्यता         हसना-हसी       रोना-रुलाई              पढना -पढाई 

    शिशु-शैशव               खेलना-खेल        लड़ना- लड़ाई        सिलना -सिलाई 

    बूढा-बुढ़ापा              चोर-चोरी        काला -कालापन         चढ़ना -चढाई 

    मित्र-मित्रता              ठंडा -ठंड      घबराना -घबराहट      लाल-लाली 

    संज्ञा - हिंदी अध्यनन मंडल एफ एम  

    💻  संज्ञा -वीडियो देखें

    सर्वनाम 

    सर्वनाम वाह विकारी शब्द्द है,जो संज्ञा की पुनारुक्ति को दूर करने के लिए उसके ही अर्थ में प्रयुक्त होता है|

    सर्वनाम  के छह भेद है |
                    1.पुरुषवाचक  सर्वनाम ( उत्तम पुरुष {मैं,हम  मध्यम पुरुष{ तू,तुम, आप},अन्य पुरुष(यह वह  )
                  2.निजवाचक सर्वनाम                    (अपने आप,स्वयं )
                  3.निश्चयवाचक सर्वनाम               (यह,वह,ये,वे )
                  4.अनिश्चयवाचक सर्वनाम           (कोई,कुछ)
                  5.सम्बन्ध वाचक सर्वनाम             (जो-वह  )
                   6.प्रश्नवाचक सर्वनाम                      (क्या,कब ,क्यों  ...)  

           1.पुरुषवाचक  सर्वनाम -जिस  सर्वनाम के द्वारा  बोलनेवाले का ,सुननेवाले का अथवा जिस व्यक्ति  के बारे

     में बोला जाता है  का बोध  हो पुरुषवाचक  सर्वनाम  कहते है |   इसके तीन भेद है 

                          1. उत्तम पुरुष   -बोलने  या लिखनेवाले  का बोध देता है     {मैं,हम}   

                          2 .मध्यम पुरुष-सुननेवाले के लिए प्रयुक्त्त  होता है { तू,तुम, आप}

                          3.  अन्य पुरुष-जिसके विषय में कुछ कहा  जाय(यह वह ,ये,वे  )

    2 .निजवाचक सर्वनाम-जो सर्वनाम अपने आप के लिए प्रयुक्त होता  है उसे निजवाचक सर्वनाम  कहते है |

            राधा स्वयं गाडी चलाती है    |

             लडका  अपने आप चला आया |    

    3.निश्चयवाचक सर्वनाम -जिस सर्वनाम से किसी निश्चित व्यक्ति,वस्तु अदि का बोध  हो उसे निश्चयवाचक

     सर्वनाम कहते है ||

    यह राम का आम है | वह राम का मन्दिर है |

    ये हमारे बच्चे है | वे उसके मित्र है 

     4.अनिश्चयवाचक सर्वनाम -जिस सर्वनाम से किसी निश्चित व्यक्ति,वस्तु अदि का बोध न   हो उसे निश्चयवाचक

     सर्वनाम कहते है |

    कोई आया है |

    कुछ लोग गये है |

     5.सम्बन्ध वाचक सर्वनाम  -जो  सर्वनाम दो व्यक्तियों का ,दो वस्तुओं का अथवा दो बातों  का संबंध बतलाए उन्हें

    सम्बन्ध वाचक सर्वनाम कहते है |

    जो पढ़ेगा वह पास हो जाएगा

      6.प्रश्नवाचक सर्वनाम-जो  सर्वनाम प्रश्न करने के लिए आते है,उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते है |

    तुम्हें क्या चाहिए ?

    कौन आया है ?

    📣  सर्वनाम - हिंदी अध्ययन मंडल ऍफ़.एम्

    💻   सर्वनाम परिचय विडियो

    विशेषण      

    विशेषण   वह विकारी शब्द  जिससे संज्ञा  या सर्वनाम की विशेषता,गुण,धर्म आदि का बोध होता है  |

      राम अच्छा लड़का है | गुलाब सुन्दर फूल है 

      सीता अच्छी लडकी है|

    अच्छा लड़का।  अच्छे लड़के।  अच्छी लड़की

    विशेषण के 4 भेद    है      

                                          1.गुणवाचक विशेषण      

                                          2.संख्यावाचक  विशेषण 

                                          3.परिमाणवाचक विशेषण 

                                          4.सार्वनामिक विशेषण 

     1.गुणवाचक विशेषण      

           जिस विशेषण  से संज्ञा  या सर्वनाम के गुण,रंग,आकर,काल,दशा ,स्थान आदि का बोध हो उसे गुणवाचक

     विशेषण कहते है |

    भला आदमी ,दुष्ट लड़का ,लाल दुपट्टा ,काला कौवा ,भारतीय लडकी ,मोटी औरत 

    2.संख्यावाचक  विशेषण 

          जिस विशेषण  से संज्ञा  या सर्वनाम की संख्या का बोध   हो उसे संख्या वाचक विशेषण कहते है |

    एक लड़का ,कई लडकियाँ ,पहला स्थान ,प्रत्येक व्यक्ति 

     3.परिमाणवाचक विशेषण 

    जिस विशेषण  से किसी वस्तु  की माप तौल आथवा परिमाण का बोध होता है परिमाणवाचक विशेषण कहते है |

    सवा सेर  चावल ,पांच किलो  चीनी ,थोडा घी ,कम पानी 

    4.सार्वनामिक विशेषण 

    सर्वनाम यदि विशेषण के रूप में प्रयुक्त हो तो वह सार्वनामिक विशेषण कहलाता है |

    वह मेरा घर है |यह लडकी कहाँ  रहती है |

    विशेषणों के रूपान्तर 

    पुल्लिंग  एक वचन

    पुल्लिंग बहु वचन

    स्त्री लिंग दोनों वचन

    अच्छा

    अच्छे

    अच्छी

    काला

    काले

    काली

    सस्ता

    सस्ते

    सस्ती

     विशेषणों की तुलना

    मूलावस्था

    उत्तरावस्था

    उत्तमावस्था

    सुंदर

    सुन्दरतर

    सुन्दरतम

    उच्च

    उच्चतर

    उच्चतम

    प्रिय

    प्रियतर

    प्रियतम

    विशेषण -हिंदी अध्यनन मंडल एफ एम


    💻  विशेषण वीडियो क्लास 

    क्रिया 

      जिस शब्द से किसी काम का करना या होना समझा जाय,उसे क्रिया कहते है | क्रिया  विकारी शब्द है |

    जैसे -आना ,खाना,पीना   
    धातु 
                 जिन मूल शब्दों से क्रियाएँ बनती है ,उन्हें धातु कहते है |धातु में 'ना 'जोड़ने से क्रिया का सामन्य रूप बनता है | 
    पढ़ +ना -पढना 
    चढ़+ ना -चढना 
    कर्ता ,कर्म और क्रिया 

    कर्ता -क्रिया के करनवाले को कर्ता कहते है 

    कर्म -क्रिया का फल कर्ता से हटकर जिस पर पड़ता है,कर्म कहते है 

    क्रिया -क्रिया का फल कर्ता से हटकर जिस पर पड़ता है,कर्म कहते है और उनके द्वारा होनेवाले कार्य को क्रिया कहते है |

    राम(कर्ता ) पुस्तक(कर्म ) पढ़ता है (क्रिया ) |
    सीता (कर्ता ) आम (कर्म ) खाती  है (क्रिया ) |

    अनुवाद 

        किसी भाषा  में कही या लिखी गयी बात का किसी दूसरी भाषा में सार्थक परिवर्तन अनुवाद (Translation) कहलाता है। 'अनुवाद'शब्द अनु+वाद से बना है |संस्कृत शब्द 'वद' का अर्थ है 'बोलना'उसके आगे 'अनु'उपसर्ग लगाने से अनुवाद शब्द बनता है|इसका अर्थ होता है 'पुनः कथन'या 'बाद में कहना '|

         अनुवाद करने के लिए दो भाषाओं की आवश्यकता है -श्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा |

         श्रोत भाषा - जिस भाषा से अनुवाद करना है |

         लक्ष्य भाषा - जिस भाषा में अनुवाद करना है 

         अनुवाद करनेवाले व्यक्ति को अनुवादक कहते है |

    अनुवादक के गुण 

    👉 श्रोत भाषा का सही ज्ञान 

    👉 लक्ष्य भाषा का सही ज्ञान 

    👉 विषय का ज्ञान 

    👉 तटस्थता 

    अनुवाद के प्रकार 

    👉 शब्दानुवाद 

    👉 भावानुवाद 

    👉 छायानुवाद 

    👉 सारानुवाद 

    👉 व्याख्यानुवाद

    👉 आशु अनुवाद 

    👉 रूपांतरण 

    अनुवाद परिचय

    अनुवाद

    पत्र

    किसी माध्यम पर लिखे गए संदेश को पत्र कहते है |पत्र लेखन का कार्य पारिवारिक जीवन से लेकर

    व्यापार तथा अन्य क्षेत्रो में प्रयोग किया जाता है |
                             पत्रों के प्रकार (Types of letters In Hindi) :
    अनौपचारिक पत्र (Informal letter )
    औपचारिक पत्र (Formal letter)

    👉 प्रार्थना पत्र – Request Letter

    👉 व्यवसायिक पत्र – Business Letter
    👉 सरकारी/कार्यालयी पत्र – Official Letter

    👉 नौकरी के लिए आवेदन पत्र - Application for job

    👉 संपादक के नाम पत्र - Letter to Editor

    👉 शिकायत पत्र -Complaint letter

          अनौपचारिक पत्र  नमूना 

    स्थान ………

    तिथि …………

    पूजनीय /प्यारा /प्यारी /प्रिय

    सादर प्रणाम/ बहुत प्यार

    पत्र लिखने का कारण ----------

    आपका /तुम्हारा

    हस्ताक्षर

    अनौपचारिक पत्र क्यों लिखा जाता है ?

    1. अपने  मित्रों,रिश्तेदारों आदि को निजी संदेश भेजने 
    2. बधाई,शोक संदेश ,आमत्रण आदि के लिए 

    पत्रों के गुण

    .सरलता - पत्र की भाषा सरल होनी चाहिए | सरल पत्र पाठक के मन पर अत्यधिक प्रभाव डालेंगे |

    .स्पष्टता -  पत्रों में अपनी बात स्पष्ट तथा विनम्रता से व्यक्त करना है |
     
    संक्षिप्तता  -  अपनी बात संक्षिप्त रूप में व्यक्त करना चाहिए |     

    ☈.शिष्टाचार - पत्र  लिखनेवाले और पानेवाले के बीच के रिश्ते के अनुसार आदर,मित्रता को सूचित करने के लिए

    प्यरा/प्रिय/  प्यारा /पूजनीय.जैसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए

    ☈.आकर्षणीयता -पत्र आकर्षक एवं सुंदर होना चाहिए |

    संक्षेपण

    संक्षेपण या संक्षिप्त लेखन में दिए गये अनुछेद के सभी तथ्यों को सुगठित भाषा में प्रस्तुत करता है |
    संक्षेपण में विषय-वस्तु के मूल भाव को संक्षिप्त और सरल रूप में लिखना  है 
    ✅ संक्षेपण में मूल अनुच्छेद के मुख्य विचारों और भावों को क्रमबद्ध रूप में  में  प्रस्तुत करना  है 
    ✅ व्याकरण के नियमों पर ध्यान देना है 
    विस्तृत  जानकारी केलिए देखें -संक्षेपण

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