HIN3FM 107(1) MDC3 KERAL KA SANSKRITHIK ITHIHAS (The Cultural History of Kerala)
केरल की भौगोलिक विशेषतायें
केरल राज्य पश्चिमी तट पर स्थित है
पूर्व में पश्चिमी घाट एवं पश्चिम में अरब सागर है।
केरल राज्य मुख्य भौगोलिक क्षेत्रों में बँटा है: पहाड़ी इलाका , मध्यभूमि (मैदान) और निम्नभूमि (तटवर्ती क्षेत्र)।
पुराना केरल -त्रावणकोर ,कोच्चिं और मलबार रियासतों में बाँटा था
केरल राज्य का जन्म १ नवंबर १९५६ को
भारत सरकार का राज्य पुनर्गठन अधिनियम १९५६ के आधार पर केरल राज्य का गठन
विस्तृत जानकारी केलिए देखें ---- राज्य पुनर्गठन अधिनियम
संगम युग
संगम’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है — ‘संगम’ या ‘मिलन’
तमिल साहित्य, संस्कृति और राजनीतिक संस्थाओं की प्रगति का युग
संगम युग के दौरान, तीन राजवंशों का शासन था: चेर, चोल और पांड्य।
अमायचर, अन्थनार,सेनापति, दूत , और जासूस (ओरर) शासन के लिए मदद देते थे
संगम साहित्य में एत्तुत्तोगई, पट्टुप्पट्टु, पथिनेंकिलकनक्कु, दो महाकाव्य सिलप्पादिकारम और मणिमेकलई,तोलकाप्पियम विख्यात है
संगम युग की महत्त्वपूर्ण विशेषता इसका आंतरिक और बाहरी व्यापार था
चेरराज वंश
चेरों ने आधुनिक राज्य केरल के मध्य और उत्तरी हिस्सों तथा तमिलनाडु के कोंगु क्षेत्र को नियंत्रित किया।
राज वंश विकेन्द्रीकृत प्रशासन करते थे
चेर साम्राज्य की राजधानी वंजी थी
चेर साम्राज्य के मुज़िरिस उस ज़माने के महत्वपूर्ण बंदरगाह थे,
रोमन राज्यों के साथ व्यापार संबंध
चेर राजाओं को "केरलपुत्र" (केरल के पुत्र) के रूप में भी जाना जाता था
नेदुंजरल अदन,सेंगुट्टुवन आदि प्रमुख राजा
चेरों के बारे में जानकरी संगम साहित्य के ग्रंथों से मिलता है
चेर राज वंश के समय के प्रमुख साहित्यकार एवं रचना
इलांगो अदिगल – “सिलप्पदिकारम” ।
सीतानार – “मणिमेखलै”
तिरुवल्लुवर – “तिरुक्कुरल”
कुलशेखर अलवर – वैष्णव भक्ति संत
कुलशेखर राज वंश
कुलशेखर राजवंश का स्थापक कुलशेखर वर्मन
उनेक शासन काल केरल के इतिहास में वाणिज्य, विज्ञान, कला और साहित्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण
कुलशेखर वर्मन,राजशिक्षा वर्मन आदि प्रमुख राजा
राजधानी महोदयपुरम
केरल पुनर्जागरण काल और प्रमुख व्यक्तित्व
पुनर्जागरण
"पुनर्जागरण" का अर्थ है -नया जन्म
14वीं से 17वीं शताब्दी के बीच यूरोप में शुरू हुई
कला, विज्ञान, साहित्य और मानवता के क्षेत्र में नए विचारों और खोजों का उदय
भारत में भी इसका आसर आया
मानवतावाद,धर्मनिरपेक्षता,वैज्ञानिक नवाचार,विचारों का प्रसार आदि इस की विशेषताएं है
विदेशी प्रभुत्व के विरुद्ध आंदोलन को जन्म दिया
केरल पुनर्जागरण का परिचय
19वीं और 20वीं शताब्दी में केरल में हुए सामाजिक-धार्मिक और राजनीतिक सुधारों का एक महत्वपूर्ण आंदोलन
पारंपरिक जाति व्यवस्था, सामाजिक असमानता और अंधविश्वास को चुनौती
शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढाँचे, सामाजिक समानता और आर्थिक विकास के लिए सहायक रहा
केरल राज्य के महान संत एवं समाजसुधारक
सामजिक क्रान्ति के अग्रदूत
नारायण गुरु का जन्म 22 अगस्त 1856 में हुआ
शंकराचार्य के समान अद्वैतवाद के प्रवर्तक
हाशिये पर स्थित लोगों के उत्थान के लिये श्री नारायण धर्म परिपालन योगम (SNDP) की स्थापना
1888 में, अरुविप्पुरम में भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर का निर्माण
1904 में शिवगिरी मठ की स्थापना
1914 में उन्होंने अलुवा में अद्वैत आश्रम की स्थापना
20 सितम्बर 1928 को निधन
दुनिया को दिए महा मंत्र - " एक जाती ,एक धर्म और एक ईश्वर मानव का"
रचनाएँ -आत्मोपदेशशतकं,दैवदशकं,दर्शनमाल,अद्वैतदीपिक आदि
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अय्यनकाली
अय्यनकाली -(1863 - 1941) सामाजिक समानता, शिक्षा, और दलित अधिकारों के प्रति समर्पित समाज सुधारक
अय्यन और माला के पुत्र
दलित लोगों को रास्ता का इस्तमाल करने का आंदोलन
दलित लोगों को शिक्षा मिलने का आंदोलन
केरल की पहली श्रमिक हड़ताल का नायक
1904 में वेंगनूर में दलितों के लिए केरल का पहला स्कूल खोला
1907 में अय्यनकली के नेतृत्व में साधु जन परिपालन संगम की स्थापना
1924 वैकम सत्याग्रह , 1931 में हुए गुरूवयूर सत्याग्रह में भागीदारी
दाक्षायणी वेलयुधनजन्म 15 1945 में कोचीन विधान परिषद के लिए चुने गए।
1946 में संविधान सभा के लिए चुनी गई दलित जाति की पहली और एकमात्र महिला।
अस्पृश्यता और आरक्षण के खिलाफ आवाज़ उठायी
अनुसूचित जाति की पहली महिला ग्रेजुएट
मद्रास निर्वाचन क्षेत्र से संसद के सदस्य
संविधान की केंद्रीकरण प्रवृत्ति की आलोचना : विकेन्द्रीकरण पर बल
संसद के प्रधम दलित दम्पति
महिला जागृति परिषद(1977) की स्थापना जुलाई 1912 को मुलावुकाड में
दलित चेतना और महिला सशक्तिकरण की प्रतीक
केरल सरकार द्वारा 2019 में स्थापित दाक्षायणी वेलायुधन पुरस्कार
दाक्षायणी वेलायुधन के बारे में और पढ़ें
Women in Constituent Assembly | Episode 1: Dakshayani Velayudhan
पंडित करुप्पन
एक कवि, नाटककार और समाज सुधारक
केरल का " लिंकन "
पंडित करुप्पन का मूल नाम - शंकरन
गुरु -वेलु वैद्य
14 फरवरी 1913 को कायल सम्मेलन का आयोजन
1925 में कोचीन विधान सभा का सदस्य
जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता पर सवाल उठाने वाली रचना - जातिकुम्मी
अरय समाज,कल्याणदायिनी सभा, प्रबोध चंद्रोदय सभा आदि की स्थापना
पंडित करुप्पन को कवितिलक, साहित्य निपुण की उपाधि कोचीन के महाराजा ने दी |
पंडित करुप्पन को विदवान की उपाधि केरल वर्मा वलियाकोई तंपुरान ने दी |
II विरासत और त्यौहार
बौद्ध धर्म सम्राट अशोक के समय (ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी) में ही केरल में पहुँच गया था।
अशोक के शिलालेखों में इस क्षेत्र का उल्लेख 'केरल पुत्र' के रूप में किया गया है।
दक्षिण केरल में बौद्ध धर्म का प्रभाव अधिक था
करुमाडिक्कुट्टन (Karumadikuttan): यह अलप्पुष a) जिले के करुमाडी में स्थित है।
यहाँ भगवान बुद्ध की एक टूटी हुई काले मूर्ति रखी है
कक्कयूर में एक छोटा-सा बुद्ध मंदिर है जो पीपल (बोधि) के पेड़ के नीचे स्थित है।
केरल में जैन
जैन धर्म के प्रचारक भद्रबाहु स्वामी केरल में आये थे
संगम युग के तमिल ग्रंथों में जैन मुनियों का उल्लेख
वायनाड, कन्नूर, कासरगोड, और पलक्कड़ क्षेत्रों में ज़्यादा लोग आये थे
अनंतनाथ स्वामी मंदिर, वायनाड
पलक्कड़ के जैनीमेडु में स्थित 15वीं शताब्दी का मंदिर
सुल्तान बतेरी जैन मंदिर
कल्लिल गुफा मंदिर
मुज़िरिस
प्राचीन भारत का एक अत्यंत प्रसिद्ध बंदरगाह नगर
केरल राज्य में स्थित
कोडुंगल्लूर , परवूर और पत्तनम क्षेत्रों में व्याप्त
काली मिर्च, मोती, हाथीदांत, नारियल, रेशम, और मसाले रोम तथा अन्य देशों में बजे गए
चेर राजाओं की राजधानी के निकट स्थित था।
ईसाई धर्म और यहूदी धर्म के भारत में आगमन का प्रारंभिक केंद्र
मुज़िरिस हेरिटेज प्रोजेक्ट
भारत का सबसे बड़ा पुरातात्त्विक संरक्षण और सांस्कृतिक पर्यटन प्रोजेक्ट है
सांस्कृतिक विविधता, धार्मिक सहिष्णुता, और वैश्विक व्यापारिक विरासत क प्रतीक
अरक्कल राजवंश
केरल का एकमात्र मुस्लिम राजवंश
अरक्कल राजवंश के अधीन लक्षद्वीप द्वीप आते थे
अरक्कल वंश के प्रमुख पुरुष शासक अलीराजा नाम से जाना जाता था
अरक्कल वंश के प्रमुख स्त्री शासक अरककल बीवी नाम से जानी जाती थी
कन्नूर में स्थित अरक्कल पैलेस
अरक्कल राजवंश केरल में धार्मिक सह-अस्तित्व का प्रतीक है
केरल की समुद्री‑व्यापार, मुस्लिम शाही शासन और स्थानीय‑विदेशी संबंधों के इतिहास
Thrissur Pooram history special programme
सर्पकावु
शाब्दिक अर्थ है: “साँपों का पवित्र स्थान”
सर्पों की पूजा के लिए समर्पित
सर्पपूजा के दौरान, यहाँ दूध, हल्दी, कुमकुम और पुष्प से अर्चन
प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र
नीय वनस्पति और जैव विविधता का संरक्षण
प्राचीन समाज ने धर्म और पर्यावरण संरक्षण को दिए महत्व
केरल की जनजातीय कलाएँ (Tribal Arts of Kerala)
केरल की जनजातीय कलाएं
केरल के आदिवासी समुदाय की कलात्मक अभिव्यक्तियाँ
आदिवासी लोगों द्वारा उपयोग किए जाने वाले अनूठे संगीत वाद्ययंत्र
तेय्यम
लोक नाट्य-धार्मिक अनुष्ठान
जनजातीय परंपरा और देवी-देवता की पूजा
“तेय्यम” का अर्थ है देवता
हरे और शरीर पर सिंदूर, लाल, पीला और काला रंग प्रयोग
शिव, भगवती, नारायण, वीरता के नायकों और स्थानीय देवताओं को समर्पित
सत्य, न्याय, पराक्रम और कर्तव्य का संदेश
कण्णूर,कासरगोड जिलों में ज़्यादा
III
केरल के संगीत
पारंपरिक, धार्मिक और शास्त्रीय शैलियों का मिश्रण दे
सोपानसंगीत केरल का एक विशेष और प्राचीन पारंपरिक संगीत रूप
मंदिरों में देवी-देवताओं के सामने गाया जाता है
मुख्य वाद्य -इडक्का
के.पी.ए.सी. -
केरल का एक प्रसिद्ध थियेटर समूह
केरल पीपुल्स आर्ट्स क्लब केरल का एक प्रसिद्ध नाट्य आंदोलन है
1950 के दशक में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े लोगों द्वारा इसकी स्थापना
समाज में सांस्कृतिक जागरूकता और सामाजिक बदलाव लाना
आम जनता तक सांस्कृतिक और राजनीतिक संदेश पहुँचाना
नाटकों के माध्यम से सामाजिक मुद्दों, न्याय और समानता पर ध्यान केंद्रित करना
के.पी.ए.सी. लालिता,के.पी.ए.सी. सचिदानंदन,के.पी.ए.सी. विजयकुमार जैसे कई अभिनेता
के.पी.ए.सी. ने केरल के नाट्य और संगीत परंपरा को नई दिशा दी।
सामाजिक चेतना और राजनीतिक विचारधारा को लोकप्रिय बनाया।
सामाजिक न्याय, श्रमिक अधिकार, परिवार और नैतिक मूल्य
निंगल एन्ने कम्म्युनिस्टाककी,तुलाभाराम जैसे नाटक
Study on Ningalenne Commyunistaaki
चेम्मीन फिल्म
1955 में बनी मलयालम भाषा की क्लासिक फिल्म
मूल लेखक -तकषी शिव शंकर पिल्लई
निदेशक रामु कारियाट
सम्पादन-ऋषिकेश मुखर्जी और के.डी जार्ज
लोक कथा पर आधारित सिनेमा
करुत्तम्मा और परीकुट्टी की प्रेम गाथा
सत्यन,शीला और मधु अभिनेता
प्रेम, विश्वास, परंपरा, और समाज के नियमों के बीच संतुलन
संगीत निदेशक -.राघवन मास्टर
अडुक्कलयिल निन्न आरंगतेकक -वी.टी भट्टतिरिप्पाड
यह नाटक 1920-30 के दशक के केरल के नांबूत्रि (ब्राह्मण) समाज की पृष्ठभूमि में लिखा गया
महिलाओं की शिक्षा और स्वतंत्रता का महत्व।
परंपराओं और सामाजिक बंधनों के खिलाफ बदलाव की आवश्यकता।
समाज में महिलाओं की भूमिका को सक्रिय और सशक्त बनाना
तेति मुख्य पात्र
तेति और माधवन का प्यार
घरेलू जीवन से सार्वजनिक जीवन की ओर महिला की मुक्ति
“अड़ुक्कलयिल निन्नु अरंगथेक्कु” 1
“अड़ुक्कलयिल निन्नु अरंगथेक्कु” 2
Kerala Kalamandalam - Sculpting a Legacy
केरला कलामंडलम त्रिशूर जिले के चेरुथुरुथी में है
वल्लथोल नारायण मेनन और मणक्कुलम मुकुंद राजा ने वर्ष 1930 में की थी
केरल राज्य का मानद विश्वविद्यालय
👉 कथकली
केरल का पारंपरिक शास्त्रीय नृत्य-नाटक
नृत्य, संगीत, अभिनय और वेशभूषा का एक अनूठा संयोजन
चंडा,मद्दलम,और चेंगिला का प्रयोग
कुटियाट्टम, संस्कृत भारत की सबसे पुरानी जीवित नाट्य परंपराओं में से एक है
केरल का एक रंग मंच प्रदर्शन
👉 तेय्यम
"थेय्यम" शब्द "दैवम्" (देवता) से निकला है, जिसका अर्थ "भगवान"
कन्नूर, कासरगोड और वायनाड में प्रचलित
धार्मिक लोक नृत्य
केरल साहित्य अकादमी
केरल साहित्य अकादमी की स्थापना 15 अक्टूबर, 1956 को
तिरुवितामकोर के महाराजा चित्तिरा तिरुनाल बलराम वर्मा ने स्थापना की
मुख्यालय १९५७ से थ्रिस्सूर में
मलयालम भाषा और साहित्य को बढ़ावा देना मुख्य उद्देशय
साहित्यिक सम्मेलन, सेमिनार, शिल्प शालाओं का आयोजन
प्रकाशित पत्रिकाएं १. साहित्य लोकम २. साहित्य चक्रवालाम ३ (मलयालम लिटररी सर्वे (अंग्रेज़ी )
एषुततच्चन पुरस्कार केरल का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान
केरल के विख्यात खिलाडी
आई.एम. विजयन – भारत के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर
श्रीशांत – भारतीय तेज़ गेंदबाज़(क्रिकेट)
संजू सैमसन – भारतीय विकेटकीपर-बल्लेबाज
पी.आर. श्रीजेश – भारतीय पुरुष हॉकी टीम के गोलकीपर
पी.टी उषा -एथलीट
के.एम. बीनामोल – एथलेटिक्स में अर्जुन अवॉर्ड और पद्मश्री से सम्मानित
अंजू बॉबी जॉर्ज – लॉन्ग जंप में विश्व स्तर पर पदक जीतने वाली भारत की पहली एथलीट।
जिम्मी जार्ज – वॉलीबाल खिलाडी
खेल प्रशिक्षण संस्थान
लक्ष्मीबाई नेशनल कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन – तिरुवनंतपुरम
स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया केंद्र
स्पोर्ट्स हॉस्टल
उषा स्कूल ऑफ़ एथलेटिक्स
केरला पुलिस अकादमी स्पोर्ट्स यूनिट
केरल साक्षरताकार्यक्रम
👉केरल साक्षरता मिशन 1989 में स्थापित
मुख्य लक्ष्य: सभी के लिए साक्षरता, जीवन कौशल और सतत शिक्षा
वयस्कों के लिए बेसिक शिक्षा, समकक्ष पाठ्यक्रम, और नई शिक्षा पहलें संचालित
👉पूर्ण साक्षरता अभियान1990 के दशक में शुरू
केरल को भारत का पहला पूर्ण साक्षर राज्य (1991) घोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका
👉अक्षर लक्षण परियोजना
लक्ष्य: राज्य को 100% साक्षरता की ओर ले जाना
वयस्कों और वृद्ध लोगों को साक्षर बनाना
स्वयंसेवकों और स्थानीय निकायों द्वारा संचालित
👉ईक्वल एजुककेशन फॉर ऑल कार्यक्रम
वयस्क शिक्षा + डिजिटल साक्षरता
मजदूरों, कामकाजी महिलाओं, विकलांगों और प्रवासी श्रमिकों की शिक्षा पर विशेष ध्यान
👉सुबोध्य
नशा मुक्त और जागरूकता शिक्षा
साक्षरता के साथ सामाजिक और स्वास्थ्य जागरूकता को जोड़ने की पहल
स्कूलों और समुदायों में शिक्षा आधारित कार्यक्रम
👉सतत शिक्षा कार्यक्रम
केरल के पढ़े-लिखे वयस्कों के लिए
जीवन कौशल, डिजिटल शिक्षा, भाषा प्रशिक्षण, व्यावसायिक कोर्स आदि प्रदान
👉 सची (Saksharatha Comprehensive Housing Initiative)
विशेष समुदायों (तटीय क्षेत्र, जनजाति समूह) के लिए शिक्षा–समर्थन कार्यक्रम
शिक्षा में स्थिरता और परिवार–स्तर पर साक्षरता बढ़ाना
👉चँगाती
अन्य राज्यों के लोगों को मलयालम सिखाने का कार्यक्रम
केरल की शिक्षा प्रणाली
भारत की सबसे उन्नत और सफल शिक्षा प्रणालियों में से एक
सामाजिक जागरूकता और शिक्षा के प्रति सम्मान
ऊँचा साक्षरता दर
मजबूत स्कूल व्यवस्था
तीन स्तरीय शिक्षा (प्राथमिक,माध्यमिक और उच्चतर )
सार्वजनिक शिक्षा पर उच्च निवेश
मज़बूत उच्च शिक्षा
डिजिटल शिक्षा में अग्रणी
तकनीकी शिक्षा को प्रामुख्य
कौशल विकास कार्यक्रम
सतत शिक्षा और वयस्क शिक्षा
केरल के अर्थ व्यवस्था में प्रवासी भारतीयों का योगदान


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