B.A Second Smester

Hindi Bhasha Mem Sanchar aur Rachnatmak lekhan ka vikas- Bhag II

Course Code -HIN2FA1049104(1)

 काल 

क्रिया के जिस रूप से कार्य करने या होने के समय का ज्ञान होता है उसे 'काल' कहते है |

  काल के तीन भेद है  - भूतकाल ,वर्तमानकाल, और भविष्यत काल 

जो समय चल रहा है  👉  वर्तमान काल (present Tense) 

जो समय बीत चुका है 👉  भूतकाल(Past Tense)  

जो समय आने वाला है👉 भविष्यत काल (Future Tense)

काल का परिचय वीडियो       

भूतकाल(Past Tense)

 क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय का बोध हो ,उसे भूत काल कहते है | भूतकाल के छः रूप है |

   (i)सामान्य भूतकाल (Simple Past)-   राम ने पुस्तक पढ़ा 

   (ii)  आसन्न भूतकाल (Recent Past) -राम ने पुस्तक पढ़ा  है |

   (iii)पूर्ण भूतकाल (Complete Past) -राम ने पुस्तक पढ़ा  था |

   (iv)अपूर्ण भूतकाल (Incomplete Past) -राम पुस्तक पढ़ रहा था |

   (v)संदिग्ध भूतकाल (Doubtful Past) -राम ने पुस्तक पढ़ा  होगा 

   (vi)हेतुहेतुमद् भूत (Conditional Past) -

भूतकाल -हिंदी अध्ययन मंडल ऍफ़.एम्

काल का परिचय 

सामान्य भूतकाल -क्रिया के जिस रूप से भूतकाल के किसी विशेष समय का निश्चय नहीं होता ,उसे सामान्य

 भूतकाल कहते है|

क्रिया        सामान्य भूतकाल क्रिया रूप 

चल           चला 

दौड़          दौड़ा 

पी              पिया 

खा            खाया         

जा             गया 

कर           किया 

हो             हुआ       

आसन्न भूतकाल -क्रिया के जिस रूप से यह समझा जाये की क्रिया के व्यापार को बीते अधिक समय न हुआ

 हो,उसे आसन्न भूतकाल कहते है | सामान्य भूतकाल क्रिया के साथ वर्तमान काल के चिह्न "है" जोड़ कर आसन्न

 भूतकाल रूप बनाता है|


सामान्य भूतकाल रूप           आसन्न भूतकाल रूप 

लडका आया                          लड़का आया है |

लडके आये                            लडके आये हैं|

लडकी आयी                          लडकी आयी है 

लडकियाँ आयीं                      लडकियाँ आयी हैं 

चला                                     चला है ,चले हैं,चली है,चली हैं 

गया                                      गया है,गए है,गयी है,गयी हैं 

पूर्ण भूतकाल 

   क्रिया के जिस  रूप से यह मालूम हो कि उसके व्यापार को समाप्त हुए बहुत  समय बीता चुका है,पूर्ण भूतकाल

 कहलाता है |

सामान्य भूतकाल                    पूर्ण भूतकाल 

लडका आया                          लड़का आया था  |

लडके आये                            लडके आये थे |

लडकी आयी                          लडकी आयी थी  

लडकियाँ आयीं                      लडकियाँ आयी थीं  

चला                                      चला था  .चले थे,चली थी ,चली थीं 

गया                                      गया था ,गये  थे ,गयी थी  ,गयी थीं   

अपूर्ण भूतकाल 

    क्रिया के जिस रूप से यह माना जाय कि क्रिया भूतकाल में हो रही थी,मगर उसकी

 समाप्ति का पता न लगे ,उसे अपूर्ण भूतकाल कहलाता है | सामान्य भूत काल रूप के

 साथ ता था /ते थे /ती थी /ती थीं जोड़ने से अपूर्ण भूतकाल रूप बनता है |

सामान्य भूतकाल                   अपूर्ण भूतकाल  

लडका आया                          लड़का आ रहा था / आता था |

लडके आये                            लडके आ रहे  थे /आते थे

लडकी आयी                          लडकी आ रही थी  /आती थी

लडकियाँ आयीं                      लडकियाँ आ रही थीं  /आती थीं

चला                                     चलता था .चलते थे,चलती थी ,चलती थीं 

                      चल रहा था  .चल रहे थे,चल रही थी ,चल रही थीं 

 जाना                  जाता था ,जाते थे ,जाती थी ,जाती थीं   

                      जा रहा था,जा रहे थे,जा रही थी ,जा रही थीं                      

संदिग्ध भूतकाल 

    क्रिया के जिस रूप से भूतकाल तो पाया जाय किन्तु उसके होने में कुछ संदेह हो,संदिग्ध भूतकाल कहते हैसामान्य भूतकाल की क्रिया के साथ होगा,होंगे,होगी ,होंगी जुड़ने से सदिग्ध भूतकाल रूप बनते है |

सामान्य भूतकाल                संदिग्ध    भूतकाल 

लडका आया                          लड़का आया होगा

लडके आये                            लडके आये होंगे

लडकी आयी                          लडकी आयी होगी

लडकियाँ आयीं                      लडकियाँ आयी होंगी

चला                                     चला होगा,चले होगे,चली होगी,चली होंगी

                       गया होगा,गये होगे,गयी होगी.गयी होंगी    

हेतु हेतुमद भूतकाल  

    क्रिया के जिस रूप से यह पाया जाय कि कार्य का भूतकाल में होना संभव था ,मगर किसी कारणवश नहीं हो सका,हेतु हेतुमद  भूतकाल कहते है |

अगर वह आता तो मैं जाता 

💻काल वीडियो कलास १

💻 काल वीडियो क्लास २

  'ने' का नियम 

1. कर्तृवाच्य  में यदि कोई सकर्मक क्रिया  भूतकाल के सामान्य,आसन्न,पूर्ण  अपूर्ण भूतकाल रूपों में

 आता है  तो कर्ता के साथ 'ने' प्रत्यय लगता  है।  

राम ने आम खाया 

2.'ने'  प्रत्यय लगते  समय क्रिया कर्ता के लिंग वचन के अनुसार न बदलकर कर्म के लिंग ,वचन के अनुसार  बदलता  है |

राम ने पुस्तक पढ़ी , सीता ने कपड़े खरीदे 

3.वाक्य में  कर्म के न रहने पर क्रिया हमेशा पुल्लिंग एक वचन होता  है |

         सीता ने खाया |

         लडकों ने गाया 

शंकर ने खेला 

4.वाक्य में कर्ता के साथ 'ने' प्रत्यय  और  कर्म के साथ 'को प्रत्यय लगने पर  क्रिया हमेशा पुल्लिंग एक

 वचन होता  है |

माँ ने बच्चों को खिलाया|

लडके ने बिल्ली को मारा |

5. बोलना, भूलना ,लाना , क्रियाओं के प्रयोग करते   वक्त कर्ता  के साथ  'ने' प्रत्यय   नहीं  लगाता  

हम सभा में बोले |

 राम आम लाया |

मैं भूल गया 

6.सक,चुक,लग क्रियाओं के प्रयोग करते   वक्त कर्ता  के साथ  'ने' प्रत्यय   नहीं  लगाता  

लडके क्रिकेट खेलने लगे |

ललिता पाठ लिख चुकी |

💻 ने का नियम -वीडियो क्लास

 वर्तमान काल 

वर्तमान काल (present Tense) 

  क्रिया के जिस रूप से वर्तमान  समय में क्रिया –व्यापार के संपन्न होने का बोध हो उसे वर्तमान

 काल कहते है |

वर्तमान काल के तीन भेद  है-

       (i)सामान्य वर्तमानकाल 

       (ii)अपूर्ण वर्तमानकाल|

      (III)संदिग्ध  वर्तमानकाल 

सामान्य वर्तमानकाल 

क्रिया का वह रूप जिससे  सामान्य रूप से क्रिया  का वर्तमान काल में होना  पाया जाय ,सामान्य वर्तमान काल

 कहते है |धातु के साथ पुरुष,लिंग और वचन के अनुसार ‘ता हूँ’‘,’ती हूँ’,’ते हो’,ती हो’,’ता है’,’ते है’,’ती है’

 आदि जुड़ने से सामान्य वर्तमान काल रूप बनता है |  

   

मैं (पुल्लिंग )

जा

ता हूँ

मैं (स्त्री लिंग )

जा

ती हूँ

तुम (पुल्लिंग )

जा

ते हो

तुम (स्त्री लिंग )

जा

ती हो

वह (पुल्लिंग )

जा

ता है

वह (स्त्री लिंग )

जा

ती है

वे (पुल्लिंग )

जा

ते हैं

वे (स्त्री लिंग )

जा

ती हैं

लड़का

जा

ता है

लडके

जा

ते हैं

लडकी

जा

ती है

लडकियाँ

जा

ती हैं

 अपूर्ण वर्तमानकाल|

  क्रिया का वह रूप जिससे यह मालूम  हो कि क्रिया अभी जारी है अपूर्ण वर्तमान काल कहते है | धातु के साथ पुरुष,लिंग और वचन के अनुसार रहा  हूँ’‘,’रही  हूँ’,’रहे  हो’,रही  हो’,’रहा  है’,’रहे  है’,’रही  है’ आदि जुड़ने से अपूर्ण  वर्तमान काल रूप बनता है 

मैं (पुल्लिंग )

जा

रहा हूँ

मैं (स्त्री लिंग )

जा

रही हूँ

तुम (पुल्लिंग )

जा

रहे हो

तुम (स्त्री लिंग )

जा

रही हो

वह (पुल्लिंग )

जा

रहा है

वह (स्त्री लिंग )

जा

रही है

वे (पुल्लिंग )

जा

रहे हैं

वे (स्त्री लिंग )

जा

रही हैं

लड़का

जा

रहा है

लडके

जा

रहे हैं

लडकी

लडकियाँ 

जा

जा 

रही है

रही हैं 


संदिग्ध  वर्तमान काल

   क्रिया का वह रूप जिससे वर्तमान काल की क्रिया के होने में संदेह पाया जाय  संदिग्ध

 वर्तमान काल कहते है | धातु के साथ पुरुष,लिंग और वचन के अनुसार ता हूँगा ’‘,’ती

 हूँगी ’,’ता होगा,ती होगी ’,ता होगा ’,’ते होंगे ’,’ती होगी ’ ,ती होंगी आदि जुड़ने से

संदिग्ध  वर्तमान काल बनता है 

मैं (पुल्लिंग )

जा

ता हूँगा  

मैं (स्त्री लिंग )

जा

ती हूँगी  

तुम (पुल्लिंग )

जा

ता होगा 

तुम (स्त्री लिंग )

जा

ती होगी 

वह (पुल्लिंग )

जा

ता होगा 

वह (स्त्री लिंग )

जा

ती होगी 

वे (पुल्लिंग )

जा

ते होंगे 

वे (स्त्री लिंग )

जा

ती होंगी 

लड़का

जा

ता होगा 

लडके

जा

ते होंगे 

लडकी

लडकियाँ 

जा

जा 

ती होगी

ती होंगी 



सामान्य वर्तमान काल

तात्कालिक/अपुर्ण  वर्तमान

संदिग्ध वर्तमान काल

राम चलता है

राम चल रहा है

राम चलता होगा

सीता चलती है

सीता चल रही है

सीता चलती होगी

वह चलता है  

वह चल रहा  है

वह चलता होगा

वे चलते हैं

वे चल रहे हैं

वे चलते होंगे


वर्तमानकाल -हिंदी अध्ययन मंडल ऍफ़.एम्

💻वर्तमान काल वीडियो क्लास

      ==============================================

 भविष्यत काल (Future Tense)

क्रिया के जिस रूप से आनेवाले काल का बोध हो ,उसे भविष्यत काल कहते  है | इसके दो भेद है         (i) सामान्य भविष्यत काल 

                    (ii) सम्भाव्य भविष्यत काल

सामान्य भविष्यत काल

     क्रिया का वह रूप जिससे सामान्य रीति से क्रिया के आगे होने की  सूचना मिले ,सामान्य भूतकाल कहते है |धातु के साथ पुरुष,लिंग और वचन  के अनुसार ऊँगा,ऊँगी,एगा.एगी आदि जुड़ने से सामान्य भविष्यत कालीन  रूप बनता है |

मैं (पुल्लिंग )

जा

ऊँगा 

मैं (स्त्री लिंग )

जा

ऊँगी 

तुम (पुल्लिंग )

जा

ओगे 

तुम (स्त्री लिंग )

जा

ओगी 

वह (पुल्लिंग )

जा

एगा

वह (स्त्री लिंग )

जा

एगी 

वे (पुल्लिंग )

जा

येंगे 

वे (स्त्री लिंग )

जा

येंगे 

लड़का

जा

एगा 

लडके

जा

एंगे 

लडकी

जा

एगी 

लडकियाँ 

जा 

येंगी   


संभाव्य भविष्यत काल

  क्रिया के जिस रूप से क्रिया व्यापार के भविष्यत काल में होने की संभावना पायी जाय,उसे संभाव्य भविष्यत काल कहते है | सामान्य भविष्यत काल रूप से ‘गा’.गे ,गी अलग करने से संभाव्य भविष्यत काल रूप बनता है |

मैं (पुल्लिंग )

जा

ऊँ

मैं (स्त्री लिंग )

जा

ऊँ

तुम (पुल्लिंग )

जा

तुम (स्त्री लिंग )

जा

वह (पुल्लिंग )

जा

वह (स्त्री लिंग )

जा

वे (पुल्लिंग )

जा

यें

वे (स्त्री लिंग )

जा

यें

लड़का

जा

लडके

जा

एं

लडकी

जा

लडकियाँ 

जा 

यें  

भविष्यत काल  HAM  FM

                                             क्रियाविशेषण

1. क्रियाविशेषण -जो अविकारी शब्द क्रिया की कोई  विशेषता प्रकट करें,उसे  क्रियाविशेषण कहते है |

    तुम यहाँ आओ |सीता,धीरे चलो | 'यहाँ','धीरे'शब्द क्रिया की विशेषता प्रकट करता है |

अर्थ के अनुसार क्रिया विशेषण चार प्रकार के है 

1 .कालवाचक क्रिया विशेषण –जिन क्रिया विशेषण से किर्या के काल का बोध होता है

                      जैसे - अब,जब,कब,आज

2.स्थानवाचक क्रियाविशेष्ण –जिन क्रिया विशेषण से किर्या के स्थान का  बोध होता है

                      जैसे – कहाँ,वहाँ,जहाँ,पास,सर्वत्र 

3.परिमाणवाचक क्रिया विशेषण -–जिन क्रिया विशेषण से किर्या के परिमाण  का बोध होता है

                      जैसे – थोडा,बहुत,कम

4.रीतिवाचक क्रिया विशेषण - जिन क्रिया विशेषण से किर्या की रीति का बोध होता है

                      जैसे – ऐसे,जैसे,कैसे ,धीरे,एकाएक  

                 संबंध बोधक

.संबंध बोधक - जो अविकारी शब्द संज्ञा और सर्वनाम के साथ प्रयुक्त   हो करउनका संबंध प्रकट करता है संबंध

 बोधक कहते है |

स्कूल के सामने मैदान है| घर के पास  मस्जिद है |यहाँ 'के सामने'और'के पास 'सम्बन्ध बोधक है |

प्रयोग के अनुसार संबन्धबोधक  अव्ययों के दो भेद है

👉 संबद्ध संबन्धबोधक 

👉 अनुबद्ध संबन्धबोधक

 संबद्ध संबन्धबोधक –जो संबंध बोधक अव्यय विभक्तियों के आगे प्रयुक्त होते है

               जैसे  राम के पास रुपया है |

                    इस के सिवा क्या चाहिए ?

अनुबद्ध संबन्धबोधक –जो संबंध बोधक अव्यय संज्ञा के बाद विभक्ति रहित रूप में प्रयुक्त

                  होता है

     जैसे -       बच्चों सहित ,तार द्वारा खबर दें 

            समुच्चय बोधक

समुच्चय बोधक - जो अव्यय शब्दों ,वाक्यों अथवा वाक्य्खंडों को परस्पर मिलाते है  समुच्चय बोधक कहते है|

'और','यदि',अगर,'अथवा',क्योंकि ''इसलिए'आदि समुच्चय बोधकहै |

समुच्चय बोधक दो प्रकार का है 

👉 समानाधिकरण समुच्चय बोधक

👉 व्यधिकरण समुच्चयबोधक 

 1.समानाधिकरण समुच्चय बोधक – जो समुच्चयबोधक समान स्थितिवाले दो वाक्यों या वाक्य खंडो को जोड़ता है

   राम और कृष्ण| अगर वह आता तो मैं जाता |

व्यधिकरण समुच्चयबोधक –जो समुच्चयबोधक आश्रित उप वाक्य को मुख्य उप वाक्य के साथ जोड़ता है

     बच्चा रोता है | वह बीमार है #####     बच्चा रोता है क्योंकि  वह बीमार है

     मैं बीमार था | अस्पताल गया #####    मैं बीमार था इसलिए अस्पताल गया


विस्मयादिबोधक-वक्ता के विस्मय,दुःख आदि मनोभाव प्रकट करने के लिए प्रयुक्त अव्यय है ,विस्मयादिबोधक

 अव्यय|

वाह!कितना सुंदर फूल |

राम -राम !यह तुम क्या कह  रहे हो ?

💻 अविकारी शब्द वीडियो क्लास 

💻 अव्यय वीडियो क्लास 

कारक 

 संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उसका संबंध प्रकट हो  उसे कारक कहते है|

राम ने रावण को  मारा | 

हिंदी में आठ कारक है |

कारक                                             विभक्ति चिह्न 

कर्ताकारक                                                   ने 

कर्म कारक                                                   को 

करण कारक                                                 से 

अपादान कारक                                            से  

संप्रदान कारक                                             को ,के लिए,के वास्ते  

संबंध   कारक                                               का,के,की 

अधिकरण  कारक                                        में ,पर 

संबोधन  कारक                                          है,अरे 

कर्ताकारक  -संज्ञा  या सर्वनाम के जिस रूप से कार्य करनेवाले का बोध होता है ,उसे कर्ताकारक कहते है |      

                           कर्ताकारक की विभक्ति 'ने'है |  जैसे  राम ने रावण को मारा   

 कर्म कारक- क्रिया के व्यापार का फल जिस वस्तु अथवा व्यक्ति पर पड़ता है ,उसे कर्म कारक कहते 

                      है |   कर्म कारक   की विभक्ति  'को' है |    जैसे  राम ने रावण को मारा  

 करण कारक-  संज्ञा  या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के साधन का बोध हो ,उसे करण  कारक  कहते है |करण

                       कारक की विभक्ति 'से ' है  जैसे  लड़का कलम से लिखता है |

अपादान कारक-संज्ञा  या सर्वनाम के जिस रूप से  अलगाव या पृथकत्व का बोध हो , उसे अपादान कारक कहते 

                          है  | जैसे  हाथ से कलम गिर गयी | लड़का स्कूल से आता है 

संप्रदान कारक - जिसको कुछ दिया जाय अथवा जिस केलिए कुछ किया जाय इसका बोध करानेवाले कारक को 

                            संप्रदान  कारक कहते है |'को'.'के लिए','के वास्ते' इसके विभक्ति चिह्न है |

                         रामू को दो रुपया दो  

                         पिताजी मेरे लिए(मैं +के लिए ) किताब लायी 

संबंध   कारक - संज्ञा  या सर्वनाम के जिस रूप से दुसरे वस्तु के  साथ उसका सम्बन्ध मालूम होता है ,उसे संबंध 

                             कारककहते है | का,के की इसकी विभक्तियाँ है 

                       राम का बेटा  |राम के बेटे |राम की बेटी |

अधिकरण  कारक  -  संज्ञा  या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया अथवा संज्ञा के आधार का बोध हो ,उसे अधिकरण 

                               कारक  कहते है |'में','पर ' इसकी विभक्तियाँ है 

                           इस घर में कौन है ? मेज़ पर किताब रखी है |

संबोधन  कारक   -   संज्ञा  या सर्वनाम के जिस रूप से   किसी को पुकारने का बोध होता है ,उसे  संबोधन  कारक

                                कहते है | 'हे','अरे','अहो 'आदि इसके बिभ्क्ति चिह्न है 

                               हे ,राम    |अरे,रामू                                                 

सर्वनामों  की  कारक रचना 

                     उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम        मैं (एकवचन)          हम (बहुवचन ) 

कारक

एकवचन

बहुवचन

कर्ताकारक

मैं+ने - मैंने

हम+ने , हमने


कर्म कारक

मैं+को -मुझको,मुझे 

हम+को -हमको,हमें

करण कारक

मैं+से -मुझ से 


हम +से-हमसे


अपादान कारक

मैं+से -मुझ से 


हम +से-हमसे


सम्प्रदान कारक

मै+को -मुझको,मुझे 

मैं+केलिए -मेरेलिए

मैं+के वास्ते -मेरेवास्ते


हम+को -हमको,हमें

हम+केलिए -हमारेलिए

हम+के वास्ते -हमारेवास्ते

संबंध कारक

मैं+का -मेरा

मैं+के-मेरे

मैं+की -मेरी

हम+का-हमारा

हम+के-हमारे

हम +की-हमारी

अधिकरण कारक

मैं+में -मुझमें

मैं+पर-मुझपर

हम+में-हममे

हम+पर-हमपर

 





                        














ध्यम पुरुष वाचकसर्वनाम          तू (एकवचन )              तुम (बहु वचन )


कारक

एकवचन

बहुवचन

कर्ताकारक

तू +ने – तूने

तुम +ने =तुमने


कर्म कारक

तू+को-तुझको,तुझे

तुम+को-तुमको,तुम्हें

करण कारक

तू +से -तुझसे

तुम+से- तुमसे

अपादान कारक

तू +से -तुझसे

तुम+से- तुमसे

सम्प्रदान कारक

तू+को-तुझको,तुझे

तू+केलिए- तेरेलिए

तुम+को -तुमको,तुम्हें

तुम + केलिए -तुम्हारेलिए

संबंध कारक

तू +का -तेरा

तू+के -तेरे

तू +की-तेरी

तुम+का-तुम्हारा

तुम+के-तुम्हारे

तुम+की-तुम्हारी

अधिकरण कारक

तू+में -तुझमें

तू+पर -तुझ पर

तुम+में -तुममें

तुम+पर -तुम पर











 

 



कारक

एकवचन

बहुवचन

कर्ताकारक

यह +ने  इसने

वह +ने -उसने

ये +ने =इन्होंने

वे+ने-उन्होंने


कर्म कारक

यह +को- इसको,इसे

वह +को-उसको,उसे

ये +को-इनको,इन्हें  

वे +को-उनको,उन्हें

करण कारक

यह +से – इससे

वह +से -उससे

ये+से -इनसे

वे+से-उनसे

अपादान कारक

यह +से – इससे

वह +से - उससे

ये+से -इनसे

वे+से-उनसे

सम्प्रदान कारक

यह +को-इसको,इसे

वह+को-उसको,उसे

यह +केलिए- इसके लिए

वह+केलिए-उसके लिए

ये+को-इनको,इन्हें

वे+को-उनको,उन्हें

ये+के लिए -इनके लिए

वे+केलिए-उनके लिए

संबंध कारक

यह+का -इसका

यह +के -इसके

यह+की -इसकी

वह+का -उसका

वह+के -उसके

वह+की-उसकी

ये+का-इनका

ये+के-इनके

ये+की-इनकी

वे+का-उनका

वे+के-उनके

वे+की-उनकी

अधिकरण कारक

यह+में -इसमें

यह+पर-इस पर

वह+में -उसमे

वह+पर -उस पर

ये+में-इनमें

वे+में -उनमें

ये+पर -इन पर

वे+पर -उन पर

































कारक

एकवचन

बहुवचन

कर्ताकारक

कोई + ने – किसने  

कोई +ने – किन्होंने

कर्म कारक

कोई +को –किसको

कोई+को – किनको

करण कारक

कोई +से-किससे

कोई +से –किनसे

अपादान कारक

कोई  +से-किससे

कोई +से-किनसे

सम्प्रदान कारक

कोई +को –किसको

कोई +केलिए –किस  केलिए

कोई+को –किनको

कोई +के लिए –किन के लिए

संबंध कारक

कोई +का –किसका

कोई +के –किसके

कोई +की –किसकी

कोई +का –किनका

कोई +के- किनके

कोई +की- किनकी

अधिकरण कारक

कोई +में –किस में

कोई  +पर- किस पर

कोई +में-किनमें

कोई +पर –किन  पर



कारक

एकवचन

बहुवचन

कर्ताकारक

घोडा + ने -घोड़े ने

घोड़े +ने -घोड़ों ने

कर्म कारक

घोडा+को -घोड़े को

घोड़े +को -घोड़ों को

करण कारक

घोडा+से-घोड़े से

घोड़े +से -घोड़ों से

अपादान कारक

घोडा+से-घोड़े से

घोड़े +से-घोड़ों से

सम्प्रदान कारक

घोडा+को -घोड़े को

घोडा+केलिए -घोड़े केलिए

घोड़े +को -घोड़ों को

घोड़े +के लिए -घोड़ों के लिए

संबंध कारक

घोडा+का -घोड़े का

घोडा+के -घोड़े के

घोडा+की -घोड़े की

घोड़े +का -घोड़ों का

घोड़े +के-घोड़ों के

घोड़े +की-घोड़ों की

अधिकरण कारक

घोडा+में -घोड़े में

घोडा+पर-घोड़े पर

घोड़े +में-घोड़ों में

घोड़े +पर -घोड़ों पर
















कारक

एकवचन

बहुवचन

कर्ताकारक

जो  + ने – जिसने

जो +ने – जिन्होंने

कर्म कारक

जो +को –जिसको

जो +को – जिनको

करण कारक

जो +से-जिससे

जो  +से –जिनसे

अपादान कारक

जो +से-जिससे

जो  +से –जिनसे 

सम्प्रदान कारक

जो +को –जिसको

जो +केलिए –जिस  केलिए

जो +को –जिनको

जो +के लिए –जिन  के लिए

संबंध कारक

जो +का –जिसका

जो+के –जिसके

जो+की –जिसकी

जो+का –जिनका

जो +के- जिनके

जो +की- जिनकी

अधिकरण कारक

जो+में –जिस में

जो +पर- जिस पर

जो +में-जिनमें

जो +पर –जिन  पर

कारक

एकवचन

बहुवचन

कर्ताकारक

चाचा  + ने -चाचा ने

चाचा +ने -चाचाओं ने  

कर्म कारक

चाचा +को -चाचा को

चाचा  +को - चाचाओं  को

करण कारक

चाचा+ से- चाचा से

चाचा  +से - चाचाओं  से

अपादान कारक

चाचा+ से- चाचा से

चाचा  +से-  चाचाओं से

सम्प्रदान कारक

चाचा +को - चाचा  को

चाचा +केलिए - चाचा केलिए

चाचा  +को - चाचाओं  को

चाचा  +के लिए - चाचाओं के लिए

संबंध कारक

चाचा +का - चाचा का

चाचा +के - चाचा के

चाचा +की - चाचा की

चाचा +का - चाचाओं  का

चाचा +के- चाचाओं  के

चाचा +की- चाचाओं की

अधिकरण कारक

चाचा +में - चाचा  में

चाचा +पर- चाचा पर

चाचा +में- चाचाओं  में

चाचा +पर - चाचाओं पर






















कारक

एकवचन

बहुवचन

कर्ताकारक

बालिका + ने - बालिका ने

 बालिकाएँ +ने -बालिकाओं  ने  

कर्म कारक

बालिका +को - बालिका  को

बालिकाएँ  +को - -बालिकाओं  को

करण कारक

बालिका + से-  बालिका  से

बालिकाएँ   +से - -बालिकाओं   से

अपादान कारक

बालिका + से-  बालिका  से

बालिकाएँ   +से-  -बालिकाओं   से

सम्प्रदान कारक

बालिका  +को -  बालिका  को

बालिका +केलिए -बालिका केलिए

बालिकाएँ   +को - -बालिकाओं  को    

बालिकाएँ  +के लिए --बालिकाओं  के लिए

संबंध कारक

बालिका +का -  बालिका  का

बालिका  +के -  बालिका  के

बालिका +की -  बालिका  की

बालिकाएँ  +का - -बालिकाओं   का

बालिकाएँ  +के- -बालिकाओं    के

बालिकाएँ  +की- -बालिकाओं   की

अधिकरण कारक

बालिका  +में -  बालिका   में

बालिका  +पर-  बालिका  पर

बालिकाएँ  +में- -बालिकाओं   में

बालिकाएँ  +पर - -बालिकाओं   पर
















































💻 कारक वीडियो क्लास १

💻कारक वीडियो क्लास 2

💻 कारक वीडियो क्लास ३

💻कारक वीडियो क्लास ४

                                                उसकी गिरफ्तारी के पूर्व- विभा रानी 

हिन्दी एवं मैथिली की लेखक, अनुवादक, एवं  थिएटर कलाकार 

'बंद कमरे का कोरस ','चल खुसरो घर अपने','इसी देश के इसी शहर में'- कहानी संग्रह 

                                                      मक डोनाल्ड - कमल कुमार 

                                                 पतझड़ की आवाज़ - राज़ा ज़ाफ़री 

                                                              प्रोग्रामिंग - उपमा शर्मा 

 मानवता और रसगुले - विष्णु नागर  

 

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय"- नदी के द्वीप

 प्रयोगवाद एवं नई कविता को साहित्य जगत में प्रतिष्ठित करने वाले कवि 
प्रेम और प्रकृति के कवि 
 'सैनिक' और 'विशाल भारत' नामक पत्रिकाओं का संपादन 
कविता संग्रह - भग्नदूत, इत्यलम, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इंद्र धनु रौंदे हुए ये, अरी ओ करूणा प्रभामय, आंगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, सागर-मुद्रा, महावृक्ष के नीचे, और ऐसा कोई घर आपने देखा है।
कहानी-संग्रह : विपथगा, परंपरा, कोठरी की बात, शरणार्थी, जयदोल, ये तेरे प्रतिरूप |
उपन्यास: शेखर: एक जीवनी, नदी के द्वीप, अपने अपने अजनबी।
यात्रा वृत्तांत: अरे यायावर रहेगा याद, एक बूंद सहसा उछली।
निबंध संग्रह : सबरंग, त्रिशंकु, आत्मनेपद, आधुनिक साहित्य: एक आधुनिक परिदृश्य, आलवाल,
संस्मरण :स्मृति लेखा
डायरियां : भवंती, अंतरा और शाश्वती।
विचार गद्य :संवत्‍सर
1978 में 'कितनी नावों में कितनी बार' पर भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार

समय से अनुरोध -अशोक वाजपेय  

 समकालीन हिंदी साहित्य के  प्रमुख साहित्यकार

कवि, निबंधकार, साहित्यिक-सांस्कृतिक आंलोचक

संपादन: समवेत, पहचान, पूर्वग्रह, बहुवचन,  समास आदि पत्रिकाएँ।

काव्य-संग्रह- समय के पास समय, इबारत से गिरी मात्राएँ , कुछ रफ़ू कुछ थिगड़े , उम्मीद का दूसरा नाम , दुख चिट्ठीरसा है, कहीं कोई दरवाज़ा 


पानी की प्रार्थना -केदारनाथ सिंह 

 अज्ञेय के संपादन में प्रकाशित ‘तीसरा सप्तक’ (1959) के सात कवियों में से एक

 समकालीन कविता के सशक्त कवि

अपना शोध ग्रंथ ‘आधुनिक हिंदी कविता में बिंब विधान’ आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी के मार्गदर्शन में पूरा किया

 कविता संग्रह ‘अभी, बिल्कुल अभी’,‘ज़मीन पक रही है’,‘अकाल में सारस’,सृष्टि पर पहरा’आदि 

आलोचना- कल्पना और छायावाद,आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान,मेरे समय के शब्द,मेरे साक्षात्कार

2014 में  ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित 

अपने घर की तलाश में -निर्मला पुतुल

   बहुचर्चित संताली लेखिका, कवयित्री और सोशल एक्टिविस्स्ट

काव्य-संग्रह- ‘नगाड़े की तरह बजते शब्द’ और ‘अपने घर की तलाश में

                    




No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.