B.Com HIN1FA 102(3)

 SANCHAR KAUSHAL VIKAS – BHAG I

Module 1

1.Basic Principles of Communication

2 Listening Hindi Language through Screening /Viewing –samvidhan Episode Samvidhan Episode 7

3 Understanding the vocabularies and dialogues used in the video –Samvidhan Episode 7

4 Tauliye : Upendranath Ashk – Reading & Interpretation

5 Tauliye : Upendranath Ashk –Plot, Character and Style Analysis

Module II   Hindi Poems 

6 Kabirdas - Dohe 

7 Meerabai – Padh 1

8  Vah Mein Hoon - Omprakash Valmiki. 2

9 Aurat - Chandrakant Devtale 2

10 Hamare Shahar ki Nadhi ek hei - Anuj Lugun

Module III

Basic Grammar for Communication 9 10

11 Sentence Structure 3

12 Karta, Karma, Kriya 1

13 Sentence translation 1

14 Conversation writing. 2

15 Letter writing - Official 

16 Letter writing - Personal

Module IV Stories: Reading and Interpreting Text and Context 10 15

17 Sabhyata ka Rahasya: Premchand 3

18 No Bar: Jayaprakash Kardam 2

19 Cornsoup- Sharmila bohra jalan

Text Book - SANCHAR KAUSHALVIKAS,BHAG 1,VaniPrkashan,NewDelhi)

                                                         भारत का संविधान

👉 भारत का संविधान संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ।
👉 26 नवम्बर) भारत के संविधान दिवस 
👉 26 जनवरी का दिन भारत के  गणतन्त्र दिवस 
👉भारत के संविधान का मूल आधार भारत सरकार अधिनियम १९३५(1935) 
👉 भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतान्त्रिक देश का सबसे लम्बा लिखित संविधान है|
👉 भारतीय संविधान लिखने वाली सभा में 299 सदस्य 
👉भारतीय संविधान लिखने वाली सभा का अध्यक्ष डॉ.राजेंद्र प्रसाद
👉संविधान निर्माण समिति अध्यक्ष - डॉ .भीमराव अंबेड़कर
👉 सदस्य - जवाहरलाल नेहरू, डॉ भीमराव अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद,
सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि
👉 भारतीय संविधान को पूर्ण रूप से तैयार करने में 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन का समय लगा था
👉भारतीय संविधान में 470 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियाँ हैं और ये 25 भागों में विभाजित है।
👉भारतीय संविधान 26.01.1950 को लागू हुआ 
                             भारतीय संविधान के भाग

भारतीय संविधान 22 भागों में विभजित है तथा इसमे 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियाँ हैं।

भागविषयअनुच्छेद
भाग 1संघ और उसके क्षेत्र(अनुच्छेद 1-4)
भाग 2नागरिकता(अनुच्छेद 5-11)
भाग 3मूलभूत अधिकार(अनुच्छेद 12 - 35)
भाग 4राज्य के नीति निदेशक तत्त्व(अनुच्छेद 36 - 51)
भाग 4Aमूल कर्तव्य(अनुच्छेद 51A)
भाग 5संघ(अनुच्छेद 52-151)
भाग 6राज्य(अनुच्छेद 152 -237)
भाग 7संविधान (सातवाँ संशोधन) अधिनियम, 1956 द्वारा निरसित(अनु़चछेद 238)
भाग 8संघ राज्य क्षेत्र(अनुच्छेद 239-242)
भाग 9पंचायत(अनुच्छेद 243- 243O)
भाग 9Aनगरपालिकाएँ(अनुच्छेद 243P - 243ZG)
भाग 10अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र(अनुच्छेद 244 - 244A)
भाग 11संघ और राज्यों के बीच सम्बन्ध(अनुच्छेद 245 - 263)
भाग 12वित्त, सम्पत्ति, संविदाएँ और वाद(अनुच्छेद 264 -300A)
भाग 13भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम(अनुच्छेद 301 - 307)
भाग 14संघ और राज्यों के अधीन सेवाएँ(अनुच्छेद 308 -323)
भाग 14Aअधिकरण(अनुच्छेद 323A - 323B)
भाग 15निर्वाचन(अनुच्छेद 324 -329A)
भाग 16कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबन्ध सम्बन्ध(अनुच्छेद 330- 342)
भाग 17राजभाषा(अनुच्छेद 343- 351)
भाग 18आपात उपबन्ध(अनुच्छेद 352 - 360)
भाग 19प्रकीर्ण(अनुच्छेद 361 -367)
भाग 20संविधान के संशोधनअनुच्छेद - 368
भाग 21अस्थाई संक्रमणकालीन और विशेष उपबन्ध(अनुच्छेद 369 - 392)
भाग 22संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ, हिन्दी में प्राधिकृत पाठ और निरसन(अनुच्छेद 393 - 395)

(जानकारी  के लिए  आभार -विकी पीडिया )

 अध्याय 1--संघ की भाषा

👉अनुच्छेद 120. संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा -

👉अनुच्छेद 210: विधान-मंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा -
    👉अनुच्छेद 343. संघ की राजभाषा-
    👉अनुच्छेद 344. राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद की समिति

    अध्याय 2- प्रादेशिक भाषाएं

    👉अनुच्छेद 345. राज्य की राजभाषा या राजभाषाएं--
    👉अनुच्छेद 346. एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा
    👉अनुच्छेद 347. किसी राज्य की जनसंख्या के किसी भाग द्वारा बोली जाने वाली भाषा के संबंध में विशेष उपबंध
    अध्याय 3 - उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों आदि की भाषा
    👉अनुच्छेद 348. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा
    👉अनुच्छेद 349. भाषा से संबंधित कुछ विधियां अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया--

    अध्याय 4-- विशेष निदेश

    👉अनुच्छेद 350 ख. भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के लिए विशेष अधिकारी-
    👉अनुच्छेद 351. हिंदी भाषा के विकास के लिए निदेश--
    राष्ट्रभाषा वह भाषा है जो राष्ट्रीय पहचान और एकता की भावना को बढ़ावा देती है और समूचे
    देश में बोली और समझी जाती है |
    राजभाषा का शाब्दिक अर्थ - राज काज की भाषा है 
                                               राजभाषा संबंधी प्रावधान
    संवैधानिक प्रावधान
    राजभाषा अधिनियम 1963
    राष्ट्रपति के आदेश-1960
    राजभाषा संकल्प 1968
    राजभाषा नियम, 1976
                                                      उपेन्द्रनाथ अश्क -तौलिए 
    हिंदी  के एक प्रमुख उपन्यासकार, कहानीकार और नाटककार 
    कहानी संग्रह “औरत की फितरत” (1933) मुंशी प्रेमचंद ने भूमिका लिखी थी
    उपन्यास: ‘गिरती दीवारें’ , ‘शहर में घूमता आइना’, ‘गर्म राख’, ‘सितारों के खेल’
    कहानी संग्रह: सत्तर श्रेष्ठ कहानियाँ, जुदाई की शाम के गीत, काले साहब, पिंजरा आदि 
    नाटक और एकांकी: लौटता हुआ दिन, बड़े खिलाड़ी, भँवर, चरवाहे, लक्ष्मी का स्वागत आदि 
    संस्मरण: मंटो मेरा दुश्मन ,फिलमीजीवन की कहानियाँ 
    संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और सोवियत लैंड नेहरू  पुरस्कार से सम्मानित  
    मुख्य पात्र 
    बसन्त - फर्म का मैनेजर 
    मधु-बसंन्त की पत्नी 
    सुरो,चींटी,मंगला,- मधु की सहेलियाँ  
    तौलिया - पीटीआई-पत्नी के बीच सम्मान, अधिकार और देखभाल का प्रतीक बन जाता है।
    "तौलिए" नाटक यह दिखाती है कि घरेलू जीवन में दिखने वाली छोटी-छोटी घटनाएँ कितनी महत्वपूर्ण है 
    पति-पत्नी के बीच की संवादहीनता, भावनात्मक दूरी, और प्रेम के बदले  अधिकार और टकराव् का धुन 
                                      कबीरदास
    जन्म:  1398 ई. वाराणसी या आसपास।
    माता-पिता:  नीरू और नीमा (जुलाहा दंपति) ने पाला।
    कबीर ने  निर्गुण भक्ति मार्ग को अपनाया।
    "राम" उनके लिए ब्रह्म का प्रतीक
    “बीजक” – उनके पदों, साखियों और रचनाओं का संग्रह।
                             मीरा बाई
    मीरा बाई का जन्म  1498 ई. में राजस्थान के मेड़ता नगर  में 
    उनका विवाह मेवाड़ के राजा भोजराज से हुआ 
    मीरा बचपन से ही भगवान श्रीकृष्ण की भक्त थीं।
    मीरा बाई ने सांसारिक जीवन को त्याग कर भक्ति का मार्ग अपनाया।
    वे भगवान श्रीकृष्ण को अपना पति मानती थीं 
    भजन से भगवान की स्तुति 
    ब्रज  और राजस्थानी भाषा में  भक्ति गीत और पद लिखे।
    उन्होंने सामाजिक बंधनों और विधवा नारी के प्रतिबंधों को तोड़ते हुए भक्ति को सर्वोच्च माना।
    मीरा बाई का जीवन साहस, समर्पण और आध्यात्मिक प्रेम का प्रतीक है।
                  ओमप्रकाश वाल्मीकि 
    जन्म: 30 जून 1950 को 
    'जूठन '  उनकी आत्मकथा है, जो दलित साहित्य की एक मील का पत्थर  है।
     दलितों के प्रति सामाजिक भेदभाव, अपमान, और उत्पीड़न को बेहद तीव्र और सजीव ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
    आत्मकथा: जूठन
    कविता संग्रह: सदियों का संताप, बस! बहुत हो चुका, अब और नहीं
    कहानियाँ: सलाम, घुसपैठिए
    दलित साहित्य के स्तंभ: उन्हें हिंदी दलित साहित्य का अग्रदूत माना जाता है।
    निधन: 17 नवम्बर 2013 को देहरादून में
                              चंद्रकांत देवताले
    जन्म: 1936, ग्राम जौलखेड़ा, जिला बैतूल, मध्य प्रदेश
    मृत्यु: 14 अगस्त 2017
    प्रगतिशील, जनपक्षधर और विद्रोही तेवर की कविताएं
    आम आदमी की आवाज़ , महिलाओं और वंचितों के पक्ष में बोलनेवाला 
    रचनाएँ -'हड्डियों में छिपा ज्वर','भूखंड तप रहा है','आग हर चीज में बताई गई थी','रोशनी के मैदान की तरफ़','पत्थर की बैंच','मेरे साक्षात्कार'

                     भाषा 

       भाषा -  जिसके  माध्यम से   मनुष्य अपने भावों और विचारों को प्रकट करते है,भाषा कहते है |

      भाषा के प्रकार -    कथित भाषा(  इसमें ध्वनियों का प्रयोग होता है )   और लिखित भाषा  ( इसमें ध्वनियों के प्रतिनधि चिह्नों का प्रयोग होता है ) 

       भाषा के प्रतिनिधि चिह्नों को   वर्ण या  अक्षर कहते है |-

      अक्षरों  के सार्थक समूह  को शब्द कहते है 

     शब्दों के सार्थक समूह को वाक्य  कहते है |  वाक्यों से भाषा बनती है |

    भाषा के सही ज्ञान के लिए  व्याकरण की आवश्यकता है |भाषा के शुद्ध प्रयोग के लिए  व्याकरण की आवश्यकता है |

    व्याकरण 

          व्याकरण वह विधा या शास्त्र है ,जिसकी सहयता से मनुष्य शुद्ध भाषा,बोल पढ़ और लिख सकता है |

        व्याकरण   =   वर्ण- शब्द -वाक्य  का वैज्ञानिक अध्ययन 

         वर्ण - दो प्रकार का  स्वर और व्यंजन   

         11 स्वर और 33 व्यंजन        ---         कुल 44  वर्ण 

    स्वर

    अ , आ , इ  , ई , उ  , ऊ  , ऋ  , ए  , ऐ  , ओ  , औ , अं, अः 

    व्यंजन 

    क वर्ग – क , ख , ग , घ , डं

    च वर्ग – च , छ , ज , झ , ञ

    ट वर्ग – ट , ठ , ड , ढ , ण 

    त वर्ग – त , थ , द , ध , न

    प वर्ग – प , फ , ब , भ , म

          लिपि - वर्णों के लिखने का क्रम  लिपि नाम से जाना जाता है 

      हिंदी देव नागरी लिपि में लिखी जाती है 

    💻   वीडियो  क्लास -भाषा,व्याकरण.वर्ण

     संज्ञा 

               विकारी शब्द परिचय        

                       संज्ञा (Noun)

                     संज्ञा वह विकारी शब्द है जिससे किसी व्यक्ति,वस्तु,स्थान,भाव या गुण के नाम का बोध होता हो |

                    जैसे - राम ,पुस्तक,दिल्ली,भलाई 

     संज्ञा के तीन भेद है - व्यक्तिवाचक संज्ञा,जाती वाचक संज्ञा और भाव वाचक संज्ञा 

                          1. व्यक्तिवाचक संज्ञा -जिस संज्ञा के द्वारा किसी,व्यक्ति,वस्तु,अथवा स्थान का बोध होता है उसे 

                                                                   व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है |       जैसे - राम ,पुस्तक,दिल्ली   

                          2.जातिवाचक संज्ञा -जो संज्ञा एक जाति के समस्त प्राणियों अथवा पदार्थों का बोध कराती है,उसे  

                                                           जाति वाचक संज्ञा कहते है |जैसे-पुस्तक,नदी,मनुष्य 

                          3.भाववाचक संज्ञा -जो संज्ञा किसी पदार्थ के गुण अथवा व्यापार का बोध कराती है,वह भाव   

                                                                 वाचक   संज्ञा कहलाती है |जैसे हंसी,खुशी,भलाई 

    संज्ञा रूप  लिखिए 

    मनुष्य -मनुष्यता         हसना-हसी       रोना-रुलाई              पढना -पढाई 

    शिशु-शैशव               खेलना-खेल        लड़ना- लड़ाई        सिलना -सिलाई 

    बूढा-बुढ़ापा              चोर-चोरी        काला -कालापन         चढ़ना -चढाई 

    मित्र-मित्रता              ठंडा -ठंड      घबराना -घबराहट      लाल-लाली 

    संज्ञा - हिंदी अध्यनन मंडल एफ एम  

    💻  संज्ञा -वीडियो देखें

    सर्वनाम 

    सर्वनाम वाह विकारी शब्द्द है,जो संज्ञा की पुनारुक्ति को दूर करने के लिए उसके ही अर्थ में प्रयुक्त होता है|

    सर्वनाम  के छह भेद है |
                    1.पुरुषवाचक  सर्वनाम ( उत्तम पुरुष {मैं,हम  मध्यम पुरुष{ तू,तुम, आप},अन्य पुरुष(यह वह  )
                  2.निजवाचक सर्वनाम                    (अपने आप,स्वयं )
                  3.निश्चयवाचक सर्वनाम               (यह,वह,ये,वे )
                  4.अनिश्चयवाचक सर्वनाम           (कोई,कुछ)
                  5.सम्बन्ध वाचक सर्वनाम             (जो-वह  )
                   6.प्रश्नवाचक सर्वनाम                      (क्या,कब ,क्यों  ...)  

           1.पुरुषवाचक  सर्वनाम -जिस  सर्वनाम के द्वारा  बोलनेवाले का ,सुननेवाले का अथवा जिस व्यक्ति  के बारे

     में बोला जाता है  का बोध  हो पुरुषवाचक  सर्वनाम  कहते है |   इसके तीन भेद है 

                          1. उत्तम पुरुष   -बोलने  या लिखनेवाले  का बोध देता है     {मैं,हम}   

                          2 .मध्यम पुरुष-सुननेवाले के लिए प्रयुक्त्त  होता है { तू,तुम, आप}

                          3.  अन्य पुरुष-जिसके विषय में कुछ कहा  जाय(यह वह ,ये,वे  )

    2 .निजवाचक सर्वनाम-जो सर्वनाम अपने आप के लिए प्रयुक्त होता  है उसे निजवाचक सर्वनाम  कहते है |

            राधा स्वयं गाडी चलाती है    |

             लडका  अपने आप चला आया |    

    3.निश्चयवाचक सर्वनाम -जिस सर्वनाम से किसी निश्चित व्यक्ति,वस्तु अदि का बोध  हो उसे निश्चयवाचक

     सर्वनाम कहते है ||

    यह राम का आम है | वह राम का मन्दिर है |

    ये हमारे बच्चे है | वे उसके मित्र है 

     4.अनिश्चयवाचक सर्वनाम -जिस सर्वनाम से किसी निश्चित व्यक्ति,वस्तु अदि का बोध न   हो उसे निश्चयवाचक

     सर्वनाम कहते है |

    कोई आया है |

    कुछ लोग गये है |

     5.सम्बन्ध वाचक सर्वनाम  -जो  सर्वनाम दो व्यक्तियों का ,दो वस्तुओं का अथवा दो बातों  का संबंध बतलाए उन्हें

    सम्बन्ध वाचक सर्वनाम कहते है |

    जो पढ़ेगा वह पास हो जाएगा

      6.प्रश्नवाचक सर्वनाम-जो  सर्वनाम प्रश्न करने के लिए आते है,उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते है |

    तुम्हें क्या चाहिए ?

    कौन आया है ?

    📣  सर्वनाम - हिंदी अध्ययन मंडल ऍफ़.एम्

    💻   सर्वनाम परिचय विडियो

    विशेषण      

    विशेषण   वह विकारी शब्द  जिससे संज्ञा  या सर्वनाम की विशेषता,गुण,धर्म आदि का बोध होता है  |

      राम अच्छा लड़का है | गुलाब सुन्दर फूल है 

      सीता अच्छी लडकी है|

    अच्छा लड़का।  अच्छे लड़के।  अच्छी लड़की

    विशेषण के 4 भेद    है      

                                          1.गुणवाचक विशेषण      

                                          2.संख्यावाचक  विशेषण 

                                          3.परिमाणवाचक विशेषण 

                                          4.सार्वनामिक विशेषण 

     1.गुणवाचक विशेषण      

           जिस विशेषण  से संज्ञा  या सर्वनाम के गुण,रंग,आकर,काल,दशा ,स्थान आदि का बोध हो उसे गुणवाचक

     विशेषण कहते है |

    भला आदमी ,दुष्ट लड़का ,लाल दुपट्टा ,काला कौवा ,भारतीय लडकी ,मोटी औरत 

    2.संख्यावाचक  विशेषण 

          जिस विशेषण  से संज्ञा  या सर्वनाम की संख्या का बोध   हो उसे संख्या वाचक विशेषण कहते है |

    एक लड़का ,कई लडकियाँ ,पहला स्थान ,प्रत्येक व्यक्ति 

     3.परिमाणवाचक विशेषण 

    जिस विशेषण  से किसी वस्तु  की माप तौल आथवा परिमाण का बोध होता है परिमाणवाचक विशेषण कहते है |

    सवा सेर  चावल ,पांच किलो  चीनी ,थोडा घी ,कम पानी 

    4.सार्वनामिक विशेषण 

    सर्वनाम यदि विशेषण के रूप में प्रयुक्त हो तो वह सार्वनामिक विशेषण कहलाता है |

    वह मेरा घर है |यह लडकी कहाँ  रहती है |

    विशेषणों के रूपान्तर 

    पुल्लिंग  एक वचन

    पुल्लिंग बहु वचन

    स्त्री लिंग दोनों वचन

    अच्छा

    अच्छे

    अच्छी

    काला

    काले

    काली

    सस्ता

    सस्ते

    सस्ती

     विशेषणों की तुलना

    मूलावस्था

    उत्तरावस्था

    उत्तमावस्था

    सुंदर

    सुन्दरतर

    सुन्दरतम

    उच्च

    उच्चतर

    उच्चतम

    प्रिय

    प्रियतर

    प्रियतम

    विशेषण -हिंदी अध्यनन मंडल एफ एम


    💻  विशेषण वीडियो क्लास 

    क्रिया 

      जिस शब्द से किसी काम का करना या होना समझा जाय,उसे क्रिया कहते है | क्रिया  विकारी शब्द है |

    जैसे -आना ,खाना,पीना   
    धातु 
                 जिन मूल शब्दों से क्रियाएँ बनती है ,उन्हें धातु कहते है |धातु में 'ना 'जोड़ने से क्रिया का सामन्य रूप बनता है | 
    पढ़ +ना -पढना 
    चढ़+ ना -चढना 
    कर्ता ,कर्म और क्रिया 

    कर्ता -क्रिया के करनवाले को कर्ता कहते है 

    कर्म -क्रिया का फल कर्ता से हटकर जिस पर पड़ता है,कर्म कहते है 

    क्रिया -क्रिया का फल कर्ता से हटकर जिस पर पड़ता है,कर्म कहते है और उनके द्वारा होनेवाले कार्य को क्रिया कहते है |

    राम(कर्ता ) पुस्तक(कर्म ) पढ़ता है (क्रिया ) |
    सीता (कर्ता ) आम (कर्म ) खाती  है (क्रिया ) |

    अनुवाद 

        किसी भाषा  में कही या लिखी गयी बात का किसी दूसरी भाषा में सार्थक परिवर्तन अनुवाद (Translation) कहलाता है। 'अनुवाद'शब्द अनु+वाद से बना है |संस्कृत शब्द 'वद' का अर्थ है 'बोलना'उसके आगे 'अनु'उपसर्ग लगाने से अनुवाद शब्द बनता है|इसका अर्थ होता है 'पुनः कथन'या 'बाद में कहना '|

         अनुवाद करने के लिए दो भाषाओं की आवश्यकता है -श्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा |

         श्रोत भाषा - जिस भाषा से अनुवाद करना है |

         लक्ष्य भाषा - जिस भाषा में अनुवाद करना है 

         अनुवाद करनेवाले व्यक्ति को अनुवादक कहते है |

    अनुवादक के गुण 

    👉 श्रोत भाषा का सही ज्ञान 

    👉 लक्ष्य भाषा का सही ज्ञान 

    👉 विषय का ज्ञान 

    👉 तटस्थता 

    अनुवाद के प्रकार 

    👉 शब्दानुवाद 

    👉 भावानुवाद 

    👉 छायानुवाद 

    👉 सारानुवाद 

    👉 व्याख्यानुवाद

    👉 आशु अनुवाद 

    👉 रूपांतरण 

    अनुवाद परिचय

    अनुवाद

    पत्र

    किसी माध्यम पर लिखे गए संदेश को पत्र कहते है |पत्र लेखन का कार्य पारिवारिक जीवन से लेकर

    व्यापार तथा अन्य क्षेत्रो में प्रयोग किया जाता है |
                             पत्रों के प्रकार (Types of letters In Hindi) :
    अनौपचारिक पत्र (Informal letter )
    औपचारिक पत्र (Formal letter)

    👉 प्रार्थना पत्र – Request Letter

    👉 व्यवसायिक पत्र – Business Letter
    👉 सरकारी/कार्यालयी पत्र – Official Letter

    👉 नौकरी के लिए आवेदन पत्र - Application for job

    👉 संपादक के नाम पत्र - Letter to Editor

    👉 शिकायत पत्र -Complaint letter

          अनौपचारिक पत्र  नमूना 

    स्थान ………

    तिथि …………

    पूजनीय /प्यारा /प्यारी /प्रिय

    सादर प्रणाम/ बहुत प्यार

    पत्र लिखने का कारण ----------

    आपका /तुम्हारा

    हस्ताक्षर

    अनौपचारिक पत्र क्यों लिखा जाता है ?

    1. अपने  मित्रों,रिश्तेदारों आदि को निजी संदेश भेजने 
    2. बधाई,शोक संदेश ,आमत्रण आदि के लिए 

    पत्रों के गुण

    .सरलता - पत्र की भाषा सरल होनी चाहिए | सरल पत्र पाठक के मन पर अत्यधिक प्रभाव डालेंगे |

    .स्पष्टता -  पत्रों में अपनी बात स्पष्ट तथा विनम्रता से व्यक्त करना है |
     
    संक्षिप्तता  -  अपनी बात संक्षिप्त रूप में व्यक्त करना चाहिए |     

    ☈.शिष्टाचार - पत्र  लिखनेवाले और पानेवाले के बीच के रिश्ते के अनुसार आदर,मित्रता को सूचित करने के लिए

    प्यरा/प्रिय/  प्यारा /पूजनीय.जैसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए

    ☈.आकर्षणीयता -पत्र आकर्षक एवं सुंदर होना चाहिए |

    मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद (1880–1936) हिंदी और उर्दू के सबसे प्रसिद्ध और यथार्थवादी लेखक वास्तविक नाम: धनपत राय श्रीवास्तव लेखन की शुरआत उर्दू भाषा में उर्दू में ' नवाबराय 'नाम से लेखन चर्चित विषय -ग्रामीण जीवन की यथार्थपरक तस्वीर,गरीबी, शोषण और अन्याय,जाति-पांति की समस्या,
    नारी जीवन और दहेज प्रथा,सामाजिक सुधार और नैतिक संघर्ष
    उपन्यास-गोदान ,गबन ,निर्मला ,सेवासदन आदि 
    कहानी संग्रह-पूस की रात,ईदगाह,कफन,ठाकुर का कुंआ,सद्गति

                          जयप्रकाश कर्दम
    ‘गूँगा नहीं था मैं’, ‘तिनका-तिनका आग’, ‘बस्तियों से बाहर’, ‘राहुल’ (कविता-संग्रह) ‘छप्पर’ (उपन्यास); तलाश’, ‘खरोंच’ (कहानी-संग्रह) ‘जर्मनी में दलित साहित्य : अनुभव और स्मृतियाँ’ (यात्रा-संस्मरण) ‘मेरे संवाद’ (साक्षात्कार) आलोचना और वैचारिक पुस्तकें- ‘श्रीलाल शुक्ल कृत 'राग दरबारी' का समाजशास्त्रीय अध्ययन’, ‘इक्कीसवीं सदी में दलित आन्दोलन : साहित्य एवं समाज चिन्‍तन’, ‘दलित विमर्श : साहित्य के आईने में’, ‘वर्तमान दलित आन्दोलन : दशा और दिशा’, ‘हिन्दुत्व और दलित : कुछ प्रश्न कुछ विचार’, ‘डॉ. अम्बेडकर, दलित और बौद्धधर्म’, ‘समाज, संस्कृति और दलित’, ‘दलित साहित्य : सामाजिक बदलाव की पटकथा’, ‘दलित कविता : समकालीन परिदृश्य’ आदि ‘चमार’ (ब्रिटिश लेखक जी.डब्ल्यू. ब्रिग्स द्वारा लिखित पुस्तक 'दि चमार्स' का हिन्दी में अनुवाद); ‘ ‘हमारे वैज्ञानिक : सी.वी. रमन’ (बाल-साहित्य)।






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