HIN3FM 107(3) MDC3 KERAL KA ARTHIK VIKAS (The Economic Development of Kerala)
संगम युग
संगम’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है — ‘संगम’ या ‘मिलन’
तमिल साहित्य, संस्कृति और राजनीतिक संस्थाओं की प्रगति का युग
संगम युग के दौरान, तीन राजवंशों का शासन था: चेर, चोल और पांड्य।
अमायचर, अन्थनार,सेनापति, दूत , और जासूस (ओरर) शासन के लिए मदद देते थे
संगम साहित्य में एत्तुत्तोगई, पट्टुप्पट्टु, पथिनेंकिलकनक्कु, दो महाकाव्य सिलप्पादिकारम और मणिमेकलई,तोलकाप्पियम विख्यात है
संगम युग की महत्त्वपूर्ण विशेषता इसका आंतरिक और बाहरी व्यापार था
चेर राज वंश आधुनिक राज्य केरल के मध्य और उत्तरी हिस्सों तथा तमिलनाडु के कोंगु क्षेत्र को नियंत्रित किया।
चेर राज वंश विकेन्द्रीकृत प्रशासन करते थे
चेर साम्राज्य की राजधानी वंजी थी
चेर साम्राज्य के मुज़िरिस उस ज़माने के महत्वपूर्ण बंदरगाह थे,
रोमन राज्यों के साथ व्यापार संबंध
चेर राजाओं को "केरलपुत्र" (केरल के पुत्र) के रूप में भी जाना जाता था
नेदुंजरल अदन,सेंगुट्टुवन आदि प्रमुख राजा
चेरों के बारे में जानकरी संगम साहित्य के ग्रंथों से मिलता है
चेर राज वंश के समय के प्रमुख साहित्यकार एवं रचना
इलांगो अदिगल – “सिलप्पदिकारम” ।
सीतानार – “मणिमेखलै”
तिरुवल्लुवर – “तिरुक्कुरल”
कुलशेखर अलवर – वैष्णव भक्ति संत
कुलशेखर राज वंश
कुलशेखर राजवंश का स्थापक कुलशेखर वर्मन
उनेक शासन काल केरल के इतिहास में वाणिज्य, विज्ञान, कला और साहित्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण
कुलशेखर वर्मन,राजशिक्षा वर्मन आदि प्रमुख राजा
राजधानी महोदयपुरम
पुराना केरल -त्रावणकोर ,कोच्चिं और मलबार रियासतों में बाँटा था
केरल राज्य का जन्म १ नवंबर १९५६०को
भारत सरकार का राज्य पुनर्गठन अधिनियम १९५६ के आधार पर केरल राज्य का गठन
विस्तृत जानकारी केलिए देखें ---- राज्य पुनर्गठन अधिनियम
केरल पुनर्जागरण काल और प्रमुख व्यक्तित्व
पुनर्जागरण
"पुनर्जागरण" का अर्थ है -नया जन्म
14वीं से 17वीं शताब्दी के बीच यूरोप में शुरू हुई
कला, विज्ञान, साहित्य और मानवता के क्षेत्र में नए विचारों और खोजों का उदय
भारत में भी इसका आसर आया
मानवतावाद,धर्मनिरपेक्षता,वैज्ञानिक नवाचार,विचारों का प्रसार आदि इस की विशेषताएं है
विदेशी प्रभुत्व के विरुद्ध आंदोलन को जन्म दिया
केरल पुनर्जागरण का परिचय
19वीं और 20वीं शताब्दी में केरल में हुए सामाजिक-धार्मिक और राजनीतिक सुधारों का एक महत्वपूर्ण आंदोलन
पारंपरिक जाति व्यवस्था, सामाजिक असमानता और अंधविश्वास को चुनौती
शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढाँचे, सामाजिक समानता और आर्थिक विकास के लिए सहायक रहा
केरल राज्य के महान संत एवं समाजसुधारक
सामजिक क्रान्ति के अग्रदूत
नारायण गुरु का जन्म 22 अगस्त 1856 में हुआ
शंकराचार्य के समान अद्वैतवाद के प्रवर्तक
श्री नारायण धर्म परिपालन योगम (SNDP) की स्थापना
1888 में, अरुविप्पुरम में भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर का निर्माण
1904 में शिवगिरी मठ की स्थापना
1914 में उन्होंने अलुवा में अद्वैत आश्रम की स्थापना
20 सितम्बर 1928 को निधन
दुनिया को दिए महा मंत्र - " एक जाती ,एक धर्म और एक ईश्वर मानव का"
रचनाएँ -आत्मोपदेशशतकं,दैवदशकं,दर्शनमाल,अद्वैतदीपिक आदि
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अय्यनकाली
अय्यनकाली -(1863 - 1941) सामाजिक समानता, शिक्षा, और दलित अधिकारों के प्रति समर्पित समाज सुधारक
अय्यन और माला के पुत्र
दलित लोगों को रास्ता का इस्तमाल करने का आंदोलन
दलित लोगों को शिक्षा मिलने का आंदोलन
केरल की पहली श्रमिक हड़ताल का नायक
1904 में वेंगनूर में दलितों के लिए केरल का पहला स्कूल खोला
1907 में अय्यनकली के नेतृत्व में साधु जन परिपालन संगम की स्थापना
1924 वैकम सत्याग्रह , 1931 में हुए गुरूवयूर सत्याग्रह में भागीदारी
दाक्षायणी वेलयुधन
जन्म 15 1945 में कोचीन विधान परिषद के लिए चुने गए।
1946 में संविधान सभा के लिए चुनी गई दलित जाति की पहली और एकमात्र महिला।
अस्पृश्यता और आरक्षण के खिलाफ आवाज़ उठायी
अनुसूचित जाति की पहली महिला ग्रेजुएट
मद्रास निर्वाचन क्षेत्र से संसद के सदस्य
संविधान की केंद्रीकरण प्रवृत्ति की आलोचना : विकेन्द्रीकरण पर बल
संसद के प्रधम दलित दम्पति
महिला जागृति परिषद(1977) की स्थापना जुलाई 1912 को मुलावुकाड में
दलित चेतना और महिला सशक्तिकरण की प्रतीक
केरल सरकार द्वारा 2019 में स्थापित दाक्षायणी वेलायुधन पुरस्कार
दाक्षायणी वेलायुधन के बारे में और पढ़ें
Women in Constituent Assembly | Episode 1: Dakshayani Velayudhan
पंडित करुप्पन
एक कवि, नाटककार और समाज सुधारक
केरल का " लिंकन "
पंडित करुप्पन का मूल नाम - शंकरन
गुरु -वेलु वैद्य
14 फरवरी 1913 को कायल सम्मेलन का आयोजन
1925 में कोचीन विधान सभा का सदस्य
जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता पर सवाल उठाने वाली रचना - जातिकुम्मी
अरय समाज,कल्याणदायिनी सभा, प्रबोध चंद्रोदय सभा आदि की स्थापना
पंडित करुप्पन को कवितिलक, साहित्य निपुण की उपाधि कोचीन के महाराजा ने दी |
पंडित करुप्पन को विदवान की उपाधि केरल वर्मा वलियाकोई तंपुरान ने दी |
केरल आर्थिक विकास की और
स्वास्थ्य पर्यटन (Wellness Tourism)
आयुर्वेद,योगा ,कोटटककल आर्य वैद्य शाला (1954 में स्थापित)
आयुर्वेदिक अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र, कोट्टक्कल
केरल राज्य में मिली गंधार शैली पहली भगवान बुद्ध की मूर्ति
कृषि आधारित उद्योग
१.नारियल (केरल के सभी जिलाओं मे )
२.चाय (वयनाड और इडुक्की जिलों में )
३.कोफ़ी( वयनाड और इडुक्की जिलों में )
४. रबर (कोट्टयम,एर्नाकुलम,कन्नूर,त्रिश्शूर,कोषिक्कोड़ जिलों में)
५.समुद्री भोजन (इडुक्की और वयनाड जिलों को छोड़ सभी जिलों में)
६.काजू (कोल्लम,कन्नूर)
रब्बर बोर्ड - कोट्टयम
केरल काष्यू बोर्ड -तिरुवनंतपुरम
समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण -कोच्चि
नारियल विकास बोर्ड-कोच्चि
हथकरघा उद्योग
केरल के हथकरघा शहर कन्नूर केरल के हथकरघा शहर
केरल स्टार्टअप मिशन (KSUM) 2006
केरल सरकार की एक नोडल एजेंसी
राज्य में उद्यमिता और स्टार्टअप को बढ़ावा देती है।
प्रौद्योगिकी-आधारित उद्यमों के लिए बुनियादी ढांचा, वित्तीय सहायता, मार्गदर्शन और अन्य संसाधन प्रदान करता है।
Innovation and Entrepreneurship Development Centre IEDC IEDC
केरल के प्रमुख सस्टार्ट अप कंपनियां
एंट्री लर्निंग आप
जेन रोबोटिक्स
आकृ आप
सर्वे स्पैरो
सस्ता रोबोटिक्स
जेंडर पार्क कोषिक्कोड़ के वेल्लिमाडु कुन्न में २०१३ में स्थापित
शी टैक्सी -जेंडर पार्क का प्रमुख कार्यक्रम
लैंगिक समानता पर अंतर् राष्ट्रीय कार्यक्रम
जेंडर पुस्तकालय कोषिक्कोड़ में
प्रवासी केरलीय
प्रवासी केरलीय केरल के आर्थिक विकास को महत्वपूर्ण हिस्सा प्रदान करता है
दुनिया के सभी देशों में केरलीय पहुंच चुके है


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